उत्तराखंड पेपर लीक कांड में पुलिस के शुरुआती दावे अब सवालों के घेरे में आ गए हैं। पुलिस ने शुरुआत में कहा था कि मुख्य आरोपी हाकम सिंह अभ्यर्थियों को केवल झांसा दे रहा था और उसके पास परीक्षा पास कराने का कोई ठोस लिंक नहीं था। लेकिन सह-आरोपी पंकज गौड़ के इकबालिया बयान और हाकम की कॉल रिकॉर्डिंग्स ने इस दावे को कमजोर कर दिया है।
कैसे पंकज पहुंचा हाकम तक
पंकज गौड़ खुद भी परीक्षा में बैठने वाला था। उसने हाकम तक पहुंच बनाई और 12 से 15 लाख रुपये में नौकरी दिलाने की बात तय की। हाकम ने पंकज से कहा कि यदि वह पांच उम्मीदवार लाता है, तो उसके 12 लाख रुपये बच जाएंगे और उसका काम मुफ्त में हो जाएगा। इस बयान से साफ है कि पंकज खुद भी पैसे देने के लिए तैयार था, यानी वह हाकम की “पहुंच” पर भरोसा कर रहा था।
अन्य अभ्यर्थियों से लिया अधिक पैसा
जांच में सामने आया कि पंकज ने कई अभ्यर्थियों — अरुण पंवार, रोबिन नौटियाल, गुलशन, मोनिका डोभाल और काला — को 15 लाख रुपये देने पर नौकरी पक्की कराने का भरोसा दिलाया। यहां तक कि उसने अतिरिक्त 3 लाख रुपये अपनी तरफ से जोड़कर बताए, ताकि उसका खुद का काम फ्री हो जाए। यह स्थिति पुलिस के शुरुआती बयान से बिल्कुल अलग है, जिसमें कहा गया था कि आरोपी केवल झांसा दे रहे थे।
कॉल रिकॉर्डिंग में बड़ा खुलासा
वायरल कॉल रिकॉर्डिंग में हाकम साफ कह रहा है कि पिछली बार उसने 12-12 लाख में ज्यादा उम्मीदवारों का जिम्मा लिया था, जिससे मामला बिगड़ गया। इस बार उसने रणनीति बदली थी — कम अभ्यर्थी और ज्यादा रकम। यानी 15 लाख लेकर सीमित उम्मीदवारों का ही काम करना, ताकि किसी को शक न हो।
ओएमआर शीट खाली छोड़ने का खेल
सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब पुलिस को एक पैन ड्राइव मिली। इसमें हाकम 21 सितंबर की परीक्षा पास कराने का दावा कर रहा था और अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट खाली छोड़ने की सलाह दे रहा था। उसका कहना था कि बाद में शीट भर दी जाएगी। यह इस बात का सबूत है कि वह केवल “कोरा झांसा” नहीं दे रहा था, बल्कि उसके पास सिस्टम के अंदर से मदद का कोई लिंक मौजूद था।
गहरी साजिश की ओर इशारा
इकबालिया बयान, कॉल रिकॉर्डिंग और पैन ड्राइव की सामग्री यह संकेत दे रही है कि मामला सिर्फ झांसे का नहीं, बल्कि बड़ी साजिश का हिस्सा था। अब जांच एजेंसियों पर यह दबाव है कि वे इस मामले की गहराई तक जाएं और पता लगाएं कि सिस्टम के भीतर कौन-कौन शामिल था।