उत्तराखंड पेपर लीक बवाल: खालिद मलिक पर शिकंजा, देहरादून में Section 163 लागू

उत्तराखंड पेपर लीक कांड में बवाल: खालिद मलिक पर शिकंजा, देहरादून में Section 163 लागू

देहरादून। उत्तराखंड की सबसे चर्चित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण लगातार सुर्खियों में है। रविवार को आयोजित इस परीक्षा के तुरंत बाद ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और देखते ही देखते यह मामला राज्य की सियासत से लेकर बेरोजगार युवाओं तक के गुस्से का कारण बन गया।

अब पुलिस ने इस कांड का बड़ा खुलासा करते हुए तीन प्रमुख नाम सामने रखे हैं — अभ्यर्थी खालिद मलिक, उसकी बहन हीना और सहायक प्रोफेसर सुमन

पुलिस का खुलासा: कैसे हुआ पेपर लीक?

देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से पेपर का सिर्फ एक सेट बाहर आया था।

  • पेपर खालिद मलिक के लिए बाहर निकाला गया ताकि उसे सवालों के जवाब पहुंचाए जा सकें।
  • पेपर के स्क्रीनशॉट सबसे पहले उसकी बहन हीना तक पहुंचे।
  • हीना ने यह स्क्रीनशॉट सहायक प्रोफेसर सुमन को भेजे और उनसे उत्तर मांगे।
  • प्रोफेसर ने शुरुआती जवाब भेजे भी, लेकिन बाद में शक होने पर पुलिस जाने की सोची।
  • इस बीच उनका संपर्क बॉबी पंवार से हुआ, जिसने कथित तौर पर उन्हें पुलिस जाने से रोका और मामले को पब्लिसिटी देने का प्रयास किया।

एसएसपी ने दावा किया कि इस कांड की तीन कड़ियों का खुलासा हो चुका है और मुख्य आरोपी खालिद की तलाश तेज़ी से की जा रही है। विशेष जांच दल (SIT) उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।

🚨 सुरक्षा अलर्ट: देहरादून में Section 163 BNSS लागू

पेपर लीक कांड को लेकर कांग्रेस और अन्य संगठनों ने 22 सितंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है। संभावित भीड़ और कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए देहरादून प्रशासन ने Section 163 BNSS (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) लागू कर दिया है।

📍 किन-किन जगहों पर लागू हुआ आदेश?

मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश के अनुसार, निम्न स्थानों और इनके 500 मीटर दायरे में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के समूह, जुलूस, धरना-प्रदर्शन, सार्वजनिक सभा पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा:

  1. घण्टाघर
  2. चकराता रोड
  3. गांधी पार्क
  4. सचिवालय रोड
  5. न्यू कैंट रोड
  6. सहस्त्रधारा रोड
  7. नेशविला रोड
  8. राजपुर रोड
  9. ईसी रोड
  10. सहारनपुर रोड
  11. परेड ग्राउंड
  12. सर्वे चौक / DAV कॉलेज रोड

इसके अलावा बिना अनुमति लाउडस्पीकर, डीजे या किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग भी प्रतिबंधित है। साथ ही हथियार, लाठी-डंडे या आपत्तिजनक वस्तुएं लेकर चलना सख्त मना है।


⚖️ स्पेशल कॉलम: विधिक विश्लेषण (Section 163 BNSS)

Section 163 BNSS क्या है?

यह प्रावधान CrPC की पुरानी धारा 144 जैसा है। इसे लागू करने का उद्देश्य है —

  • सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना
  • संभावित खतरे या हिंसा को रोकना
  • भीड़, प्रदर्शन या जुलूस को नियंत्रित करना

संवैधानिक पहलू

संविधान नागरिकों को Article 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांति से सभा करने का अधिकार देता है। लेकिन Article 19(2) और 19(3) के तहत सरकार इन अधिकारों पर “reasonable restrictions” लगा सकती है।

👉 इसलिए, Section 163 BNSS कानूनी और संवैधानिक है, बशर्ते इसका इस्तेमाल औचित्यपूर्ण, अस्थायी और आवश्यक परिस्थिति में हो।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

  • Babulal Parate vs State of Maharashtra (1961) – धारा 144/163 रोकथाम के लिए है, दंड के लिए नहीं।
  • Madhu Limaye vs SDM (1970) – शक्ति व्यापक है, लेकिन मनमाना उपयोग असंवैधानिक होगा।
  • Anuradha Bhasin vs Union of India (2020) – धारा 144/163 का अनिश्चितकालीन प्रयोग मौलिक अधिकारों का हनन है।

अवधि

  • आदेश आमतौर पर 2 महीने तक लागू रहता है।
  • राज्य सरकार चाहें तो इसे 6 महीने तक बढ़ा सकती है।

आलोचना

कई बार इसे राजनीतिक विरोध दबाने का औजार कहा जाता है। लेकिन यह आपदा, सांप्रदायिक तनाव और भीड़ नियंत्रण जैसी परिस्थितियों में भी लागू होता है।


❓ FAQ: धारा 163 BNSS और पेपरलीक प्रकरण

धारा 163 BNSS क्या है?

धारा 163 BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023) वह प्रावधान है जो सार्वजनिक शांति भंग होने या खतरा उत्पन्न होने की आशंका पर लागू किया जाता है। यह पहले की धारा 144 CrPC जैसा ही है।

क्या धारा 163 BNSS और धारा 144 CrPC एक जैसी हैं?

हाँ, धारा 163 BNSS मूल रूप से पुराने कानून CrPC की धारा 144 का ही नया स्वरूप है। दोनों का उद्देश्य है – भीड़ पर रोक, शांति व्यवस्था बनाए रखना और संभावित खतरे को रोकना।

धारा 163 कब लगाई जाती है?

जब किसी क्षेत्र में,
1) दंगा या हिंसा की आशंका हो,
2) किसी आंदोलन/धरने से यातायात और आमजन को खतरा हो,
3) आपदा या आपात स्थिति हो,
4) तब मजिस्ट्रेट या जिला प्रशासन इसे लागू कर सकता है।

क्या धारा 163 BNSS से लोगों के अधिकार प्रभावित होते हैं?

हाँ, कुछ हद तक। यह प्रावधान नागरिकों के Article 19(1)(a) और 19(1)(b) (अभिव्यक्ति और सभा की स्वतंत्रता) पर अस्थायी रोक लगाता है। लेकिन संविधान इसकी अनुमति देता है, बशर्ते यह रोक औचित्यपूर्ण और सीमित समय के लिए हो।

धारा 163 कितने समय तक लागू रहती है?

आम तौर पर यह अधिकतम दो महीने तक लागू की जाती है। राज्य सरकार चाहें तो इसे छह महीने तक बढ़ा सकती है।

क्या धारा 163 BNSS को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

हाँ। यदि किसी व्यक्ति या संगठन को लगे कि यह आदेश अनुचित है या मनमाने तरीके से लगाया गया है, तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में इसकी न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) के लिए याचिका दायर कर सकता है।

देहरादून में 22 सितंबर 2025 को यह धारा क्यों लगाई गई?

क्योंकि पेपर लीक प्रकरण को लेकर कांग्रेस और अन्य संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई थी। साथ ही शहर में आपदा की स्थिति और यातायात व्यवस्था को देखते हुए, प्रशासन ने सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए यह आदेश जारी किया।


🔎 निष्कर्ष

उत्तराखंड का पेपर लीक कांड सिर्फ परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठा रहा, बल्कि यह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शासन की नाकामी का बड़ा प्रतीक बन गया है। पुलिस जहाँ आरोपियों पर शिकंजा कस रही है, वहीं प्रशासन ने Section 163 BNSS लागू कर राजधानी को प्रदर्शन-प्रूफ बनाने की कोशिश की है।

अब देखना यह होगा कि क्या यह कार्रवाई युवाओं के गुस्से को शांत कर पाएगी या फिर यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा।

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