नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यणालय (HNBGU) के वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की नियमितीकरण और वरिष्ठता से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय की ओर से दायर 40 विशेष अपीलों को निस्तारित करते हुए एकलपीठ के आदेश को संशोधित किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि कर्मचारियों को उनके मौजूदा विभाग में नियमित किया जाए, नए पद सृजित किए जाएं, और वरिष्ठता सूची जारी की जाए। साथ ही, दस्तावेजों की जांच के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया।
कोर्ट का फैसला: नियमितीकरण और पद सृजन
मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा:
- कर्मचारी जिस विभाग में कार्यरत हैं, उन्हें उसी विभाग में नियमित किया जाए।
- यदि कोई पद सृजित नहीं है, तो वर्षों की सेवा को देखते हुए नया पद सृजित किया जाए।
- विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति से नियमित कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची जारी करें।
- सभी नियमित कर्मचारियों (चाहे कमीशन से आए हों या प्रमोशन से) की एकीकृत वरिष्ठता सूची बनाई जाए, जो सेवा की शुरुआती तारीख से आधारित हो।
- जिन पदों पर भर्ती अभी नहीं हुई, उन्हें सृजित करें।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठता सेवा देने की पहली तारीख से गिनी जाएगी, भले ही कर्मचारी पहले या बाद में नियमित हुए हों। इससे उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जो नई भर्तियों से कनिष्ठ हो गए थे।
पृष्ठभूमि: एकलपीठ का आदेश और विश्वविद्यालय की अपील
पूर्व में एकलपीठ ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए वरिष्ठता के आधार पर नियमितीकरण का आदेश दिया था। लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे लागू नहीं किया और नई विज्ञप्ति जारी कर नए कर्मचारियों को भर्ती कर लिया, जिससे पुराने कर्मचारी कनिष्ठ हो गए। इससे असंतोष बढ़ा, और विश्वविद्यालय ने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ 40 अपीलें दायर कीं।
खंडपीठ ने इन अपीलों को खारिज करते हुए कहा कि वर्षों की सेवा देने वाले कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा जरूरी है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी जताई।
कमेटी गठन: 6 माह में निर्णय
कोर्ट ने सर्वप्रथम एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया, जो:
- सभी नियमित और प्रस्तावित कर्मचारियों के दस्तावेजों का अवलोकन करेगी।
- वरिष्ठता सूची तैयार करेगी।
- 6 माह के अंदर निर्णय लेगी और सूची जारी करेगी।
यह कमेटी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारी प्रतिनिधियों, और स्वतंत्र विशेषज्ञों से मिलकर बनेगी। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
कर्मचारियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
कर्मचारियों ने फैसले का स्वागत किया है। एक याचिकाकर्ता ने कहा, “वर्षों की सेवा के बाद न्याय मिला। अब हमारी वरिष्ठता बहाल होगी।” कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला केंद्रीय विश्व्ट्र विश्वविद्यालयों में अनुबंध कर्मचारियों के अधिकारों के लिए मिसाल बनेगा। HNBGU कर्मचारी संघ ने कोर्ट का आभार जताया और कमेटी गठन की मांग की।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि फैसले का पालन किया जाएगा, और कमेटी जल्द गठित की जाएगी। यह फैसला उत्तराखंड में सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में कर्मचारी नियमितीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।
व्यापक प्रभाव
उत्तराखंड में HNBGU जैसे संस्थानों में अनुबंध कर्मचारियों की संख्या हजारों में है। यह फैसला सेवा सुरक्षा और वरिष्ठता के मुद्दों पर नई दिशा देगा। कोर्ट ने विश्वविद्यालयों से अपील की कि कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करें और अदालती आदेशों का तुरंत पालन करें।