देहरादून: उत्तराखंड स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा 2025 के पेपर लीक मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एसआईटी आयोग पहुंची। एसआईटी ने परीक्षा में सुरक्षा मुहैया कराने वाली कंपनी के अधिकारियों और आयोग के कर्मचारियों से कई घंटे पूछताछ की। इसके साथ ही खालिद से संबंधित दस्तावेज और परीक्षा से जुड़े विभिन्न रिकॉर्ड भी एसआईटी ने अपने कब्जे में ले लिए।
एसआईटी की जांच प्रक्रिया
- मामले की जांच के लिए दो दिन पहले उत्तराखंड शासन ने एसपी देहात देहरादून जया बलोनी के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय SIT का गठन किया।
- पहले दिन एसआईटी रायपुर स्थित आयोग के कार्यालय में पहुंची।
- एसआईटी ने सुरक्षा कंपनी के अधिकारियों और आयोग कर्मचारियों से एक-एक कर पूछताछ की।
- आयोग से खालिद और परीक्षा से संबंधित दस्तावेज जमा किए गए।
- जांच का समयसीमा एक माह निर्धारित की गई है।
जांच के प्रारंभिक निष्कर्ष से पता चला है कि परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था में कई सवाल उठते हैं, इसलिए सुरक्षा कंपनी के अधिकारियों पर विशेष ध्यान दिया गया।
अभ्यर्थियों और जनता के लिए जन संवाद बैठक
एसआईटी ने जन संवाद बैठक आयोजित करने की भी योजना बनाई है, ताकि परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों से जानकारी प्राप्त की जा सके।
- 27 सितंबर: हरिद्वार जिले के कलेक्ट्रेट सभागार में दोपहर 12 से 1 बजे तक।
- 29 सितंबर: टिहरी गढ़वाल जिले के कलेक्टर सभागार में दोपहर 12 से 1 बजे तक।
इन बैठकों में:
- अभ्यर्थी और उनके अभिभावक
- कोचिंग संस्थान
- जनसरोकार से जुड़े लोग
शामिल होकर परीक्षा से संबंधित अपनी शंकाओं और सूचनाओं को SIT के साथ साझा कर सकते हैं।
पृष्ठभूमि
इस मामले में युवा उम्मीदवारों और अभिभावकों ने संबंधित परीक्षा रद्द कराने और CBI जांच की मांग की थी। SIT की जांच से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा की पारदर्शिता और सुरक्षा पूरी तरह बरकरार रहे।
जांच का उद्देश्य है:
- परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था का समग्र मूल्यांकन।
- खालिद और अन्य संलिप्त व्यक्तियों के दस्तावेजों और सबूतों का सत्यापन।
- अभ्यर्थियों और जनता के साथ संवाद के माध्यम से जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
UKSSSC पेपर लीक मामले में SIT की सक्रियता से यह संदेश जाता है कि शैक्षणिक और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाए रखना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
- आयोग और सुरक्षा कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ महत्वपूर्ण कदम है।
- जन संवाद बैठक अभ्यर्थियों और जनता को सशक्त भागीदारी का अवसर देती है।
- एक महीने के भीतर SIT की जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट निष्कर्ष सामने आएंगे।
यह मामला न केवल परीक्षा प्रक्रिया की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षाओं में भविष्य में धोखाधड़ी रोकने की दिशा में भी अहम साबित होगा।