हरिद्वार। 22 नवंबर 2025 से शुरू हुए नवरात्रों के अवसर पर देशभर के साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार के मंदिरों में भक्तजन माता के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं। मां मनसा देवी मंदिर में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
हालांकि 27 जुलाई 2025 को मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई थी, लेकिन नवरात्र शुरू होते ही मंदिर में भक्तों का तांता लग गया। हर साल नवरात्र के दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं।
मां मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
मंदिर का स्थान और महत्व
- मंदिर हरिद्वार शहर से लगभग 3 किलोमीटर दूर हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बिल्वा पर्वत पर स्थित है।
- माता मनसा देवी को माता दुर्गा का एक रूप माना जाता है।
- “मनसा” शब्द का अर्थ मन की इच्छा है।
- मान्यता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से उपासना करते हैं, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
पौराणिक कथाएँ
मां मनसा देवी से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- पौराणिक काल में महिषासुर नामक राक्षस देव लोक और पृथ्वी पर अत्याचार करने लगा।
- देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की और उन्होंने राक्षस का वध किया, जिससे देव लोक सुरक्षित हुआ।
- इसी कारण माता दुर्गा के इस रूप को मां मनसा देवी कहा गया।
- माना जाता है कि मां मनसा देवी ने यहीं आकर विश्राम किया और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा किया।
दर्शन और श्रद्धा
नवरात्रों के दौरान श्रद्धालु लंबी लाइनों में खड़े होकर माता के दर्शन करते हैं। हरिद्वार के भक्तजन दूर-दूर से मंदिर में आकर पूजा-अर्चना और आरती में भाग लेते हैं।