धर्म डेस्क: कालाष्टमी, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला पवित्र दिन है, जो भगवान काल भैरव को समर्पित है। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान भैरव प्रकट हुए थे। यह दिन भक्तों के लिए असीम शक्ति, रोगों से मुक्ति, और मनोकामनाओं की पूर्ति का अवसर लेकर आता है। काल भैरव की पूजा, व्रत, और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए, कालाष्टमी के महत्व, पूजा विधि, मंत्र, और दान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कालाष्टमी क्या है और इसका महत्व
कालाष्टमी हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान काल भैरव, जो भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं, की विशेष पूजा और साधना की जाती है। नारद पुराण के अनुसार, भैरव बाबा की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और लंबे समय से चले आ रहे रोग, दुख, और तकलीफें दूर होती हैं। यह तिथि नकारात्मक शक्तियों से रक्षा और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए विशेष मानी जाती है। भक्त इस दिन व्रत, पूजा, और दान के माध्यम से भैरव बाबा को प्रसन्न करते हैं।
भैरव बाबा को कैसे करें प्रसन्न
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित भोग और उपाय किए जाते हैं:
- कच्चा दूध: भगवान बटुक भैरव को कच्चा दूध अर्पित करें।
- शराब का भोग: कई भक्त भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करते हैं, जो उनकी परंपरागत पूजा का हिस्सा है।
- हलुआ-पूरी और मिठाई: हलुआ, पूरी, इमरती, जलेबी, और पांच प्रकार की मिठाइयां भैरव बाबा को प्रिय हैं।
- काले कुत्ते को भोजन: व्रत के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या कच्चा दूध खिलाएं, क्योंकि काला कुत्ता भैरव का वाहन माना जाता है।
- सरसों का तेल और काले तिल: अर्धरात्रि में इनका उपयोग पूजा में करें।
काल भैरव की पूजा विधि
कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा निम्नलिखित विधि से करें:
- प्रात:काल स्नान: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान और नित्य-क्रिया करें।
- पूजा स्थल तैयार करें: लकड़ी के पाट पर भगवान शिव, माता पार्वती, और काल भैरव के चित्र स्थापित करें।
- जल छिड़काव और फूल: सभी चित्रों पर जल का छिड़काव करें और गुलाब के फूल या हार चढ़ाएं।
- दीपक और धूप: चौमुखी दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं।
- तिलक और संकल्प: कंकू और हल्दी से तिलक करें, फिर गंगा जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- शिव-पार्वती पूजन: सबसे पहले शिव और पार्वती की पूजा करें, उनकी आरती उतारें।
- भैरव पूजन: काल भैरव का पूजन करें और उनकी आरती करें।
- मंत्र और चालीसा: शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें। साथ ही “ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पितरों का स्मरण: पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
- काले कुत्ते का पूजन: काले कुत्ते को मीठी रोटी या दूध अर्पित करें और उसका पूजन करें।
- अर्धरात्रि पूजा: काले तिल, सरसों का तेल, और धूप से रात में भैरव की पूजा करें।
- भजन और कीर्तन: रात में भैरव बाबा की महिमा का भजन गाएं।
काल भैरव मंत्र
निम्नलिखित मंत्रों का जाप कालाष्टमी पर विशेष फलदायी होता है:
- मुख्य मंत्र: अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
- अन्य मंत्र:
- ॐ कालभैरवाय नम:।
- ॐ भयहरणं च भैरव:।
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
- ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
कालाष्टमी पर दान का महत्व
कालाष्टमी पर दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और भैरव बाबा की कृपा प्राप्त होती है। निम्नलिखित चीजों का दान करें:
- कच्चा दूध: भैरव मंदिर में कच्चा दूध दान करें।
- काला-सफेद कंबल: जरूरतमंद को दो रंग का कंबल दान करें।
- कुत्तों को भोजन: काले कुत्तों को रोटी या दूध खिलाएं।
- गाय को भोजन: गाय को जौ, गुड़, और घी के साथ रोटी अर्पित करें।
- अन्य दान: सरसों का तेल, काले कपड़े, तली हुई खाद्य सामग्री, घी, जूते-चप्पल, और कांसे के बर्तन दान करें।
काल भैरव आरती
कालाष्टमी पर भैरव बाबा की आरती गाना विशेष पुण्यदायी है। यहाँ संक्षिप्त आरती दी गई है:
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा। जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।। तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक। भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।। वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी। महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।। पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।। बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।। बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें। कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
भैरव पूजा के लाभ
नारद पुराण के अनुसार, काल भैरव की पूजा से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
- सभी मनोकामनाओं की पूर्ति।
- लंबे समय से चले आ रहे रोगों और दुखों से मुक्ति।
- नकारात्मक शक्तियों और भय से रक्षा।
- आध्यात्मिक और मानसिक शांति।
- जीवन में सुख-समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति।
कालाष्टमी का संदेश
कालाष्टमी भक्तों को भगवान भैरव की शक्ति और कृपा से जोड़ने का अवसर है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति, दान, और पुण्य कार्यों से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। इस कालाष्टमी पर भैरव बाबा की पूजा करें, दान दें, और उनके मंत्रों का जाप कर अपने जीवन को सुखमय बनाएं।