देहरादून: उत्तराखंड के पावन चार धामों में छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। शुक्रवार को केदारनाथ धाम में देश के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी के दौरे के दौरान बदरी-केदार मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी पर सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं के उल्लंघन का संगीन आरोप लगाया गया। केदार सभा ने इसकी कड़ी निंदा की, तो अगले ही दिन उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने भी सुर मिलाते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग उठा दी। हालांकि, द्विवेदी ने सभी इल्जामों का जोरदार खंडन किया है। इस बीच, अंबानी परिवार के 10 करोड़ के दान ने धामों की सुधार योजनाओं को नई गति दी है।
केदार सभा का तीखा प्रहार: परंपराओं पर ‘हमला’ का आरोप
केदारनाथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने हेमंत द्विवेदी की नियुक्ति के बाद से उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। तिवारी का कहना है कि द्विवेदी धाम में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर ध्यान देने के बजाय परंपराओं को तोड़ने का काम कर रहे हैं। विशेष रूप से, मुकेश अंबानी के दौरे के दौरान मुख्य पुजारी और पंडा-पुरोहितों के सम्मान को ठेस पहुंचाई गई।
“अंबानी परिवार हों या कोई साधारण श्रद्धालु, आशीर्वाद और बाघंबर ओढ़ाने का अधिकार केवल मुख्य पुजारी और पंडा-पुरोहितों का है। लेकिन BKTC अध्यक्ष ने खुद ही यह रस्म अदा की, जो पौराणिक परंपराओं के विरुद्ध है,” तिवारी ने कहा। उन्होंने मांग की कि द्विवेदी को तत्काल हटा दिया जाए, वरना आंदोलन तेज होगा।
तीर्थ पुरोहित महापंचायत का साथ: VIP दर्शन पर सवालों का सैलाब
केदार सभा के वरिष्ठ सदस्य और उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने भी इस विवाद को हवा दी। उन्होंने कहा कि हेमंत द्विवेदी मंदिर प्रबंधन पर फोकस करने के बजाय VIP संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। “VIP दर्शन के नाम पर यात्रियों से अनुचित धन वसूला जा रहा है, जबकि आम श्रद्धालु घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। केदारनाथ धाम की पवित्रता पर यह आघात है,” त्रिवेदी ने चेतावनी दी।
महापंचायत ने सरकार से अपील की कि यदि द्विवेदी को नहीं हटाया गया, तो उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा। त्रिवेदी के अनुसार, अंबानी दौरे में पुजारी समुदाय के अधिकारों का हनन एक उदाहरण मात्र है, जो लंबे समय से चली आ रही अनियमितताओं को उजागर करता है।
हेमंत द्विवेदी का पलटवार: ‘परंपरा का कोई उल्लंघन नहीं, सब कुछ पारंपरिक’
विवाद के केंद्र में फंसे हेमंत द्विवेदी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “BKTC और केदार सभा एक-दूसरे के पूरक हैं। हम दोनों ही भक्त और भगवान के बीच पुल का काम करते हैं। केदारनाथ में किसी भी पौराणिक परंपरा का उल्लंघन नहीं हुआ। अंबानी परिवार को गर्भगृह में पुजारी और पंडा-पुरोहितों की मौजूदगी में ही पूजा-अर्चना करवाई गई।”
द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि मंदिर प्रांगण में उनका स्वागत BKTC की नैतिक जिम्मेदारी है, खासकर गणमान्य व्यक्तियों के लिए। “यह परंपराओं के विरुद्ध नहीं, बल्कि धाम की गरिमा बढ़ाने का प्रयास है,” उन्होंने जोड़ा।
VIP दर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि यह पुरानी व्यवस्था है, जिसे वे सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। “देश के सभी प्रमुख मंदिरों में दर्शनों की SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) होती है। हम भी जल्द बदरी-केदार धामों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करेंगे। केदार सभा के सदस्य हमारे परिवार के हैं; उनकी नाराजगी को हम जल्द सुलझाएंगे।”
10 करोड़ दान: आस्था की लहर, धामों के लिए नई उम्मीद
विवाद के बीच एक सकारात्मक खबर ने सबका ध्यान खींचा। मुकेश अंबानी परिवार ने उत्तराखंड आपदा राहत और मंदिर सुधार के लिए 10 करोड़ रुपये का दान दिया, जो पहले के 5 करोड़ से दोगुना है। हेमंत द्विवेदी ने इसे सनातन धर्म की बढ़ती आस्था का प्रमाण बताया।
“धामी सरकार के मार्गदर्शन, BKTC के प्रयासों और तीर्थ पुरोहितों के सहयोग से चार धामों में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह दान पंडा-पुरोहितों और आम भक्तों दोनों को लाभ पहुंचाएगा,” द्विवेदी ने कहा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दान अव्यवस्थाओं को दूर करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
संवाद से समाधान की राह
यह विवाद बदरी-केदार धामों की प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, लेकिन द्विवेदी की SOP घोषणा से उम्मीद बंधी है। केदार सभा और महापंचायत की मांगें यदि जल्द सुलझीं, तो धामों की पवित्रता और सुविधाएं और मजबूत होंगी। श्रद्धालुओं के हित में सभी पक्षों को संवाद की मेज पर आना होगा। क्या यह विवाद धामों के लिए नई दिशा तय करेगा? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिलेगा।