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देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार वन क्षेत्रों का होगा डिजिटल सीमांकन, विवादों पर लगेगा विराम

देहरादून: उत्तराखंड में वन क्षेत्रों की सीमाओं को नए सिरे से तय करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने पहली बार वन क्षेत्रों के डिजिटल सीमांकन (Digital Demarcation of Forest Land) की तैयारी शुरू कर दी है। इस पहल से न केवल वनों की सीमाओं को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद खत्म होंगे, बल्कि प्रबंधन और संरक्षण कार्यों में भी पारदर्शिता आएगी।

राज्य सरकार ने 22 सितंबर को इस संबंध में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दी है। इसी के आधार पर पूरे प्रदेश में वनों का डिजिटल सीमांकन किया जाएगा।

उत्तराखंड का विशाल वन क्षेत्र

उत्तराखंड में कुल 38 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है। इनमें से

  • 26.5 लाख हेक्टेयर आरक्षित वन,
  • 9.88 लाख हेक्टेयर संरक्षित वन, और
  • 1.57 लाख हेक्टेयर अन्य अवर्गीकृत वन शामिल हैं।

राज्य के वनों का प्रबंधन फिलहाल 34 डिवीजन और 7 वाइल्डलाइफ डिवीजन के माध्यम से किया जाता है। इतने बड़े क्षेत्र का सीमांकन आधुनिक तकनीक से करना समय की मांग मानी जा रही थी।

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की पहल

गौरतलब है कि 6 जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को वन क्षेत्रों का प्रमाणिक डेटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 2019 में एक समिति बनाई थी।

ओडिशा राज्य ने इस दिशा में पहल करते हुए जियो रेफरेंसिंग आधारित SOP तैयार की, जिसे मंत्रालय ने एक मॉडल SOP के रूप में स्वीकार किया। अब उत्तराखंड ने भी इसी आधार पर कदम बढ़ाते हुए अपनी SOP लागू कर दी है।

डिजिटल सीमांकन की प्रक्रिया

जारी SOP के अनुसार:

  • सीमांकन कार्य फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की तकनीकी मदद से होगा।
  • सैटेलाइट इमेजिंग और DGPS सर्वेक्षण का उपयोग किया जाएगा।
  • वन और राजस्व विभाग के अधिकारी संयुक्त सत्यापन करेंगे।
  • विवादित मामलों के निस्तारण के लिए तहसील, जिला और राज्य स्तर पर विशेष समितियाँ बनाई जाएंगी।
  • पूरी प्रक्रिया की थर्ड-पार्टी वेरीफिकेशन भी अनिवार्य होगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

तकनीक और संसाधन

इस कार्य में आईटी विभाग, राजस्व विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग का सहयोग लिया जाएगा।

  • GIS आधारित Forest LIS-DSS सिस्टम लागू किया जाएगा।
  • प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) के कार्यालय में राज्य वन डाटा प्रबंधन केंद्र स्थापित होगा।
  • प्रशिक्षित कर्मियों की टीम बनाई जाएगी और सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी सहयोग के लिए रखा जाएगा।
  • वित्तीय प्रबंधन के लिए CAMPA फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।

अधिकारियों की राय

प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) समीर सिन्हा ने कहा: “डिजिटल सीमांकन वन प्रबंधन के लिए ऐतिहासिक कदम है। इसके बाद वनों की सीमाओं को लेकर भ्रम और विवाद की स्थिति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।”

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