छात्रसंघ चुनाव में विवाद के बाद एनएसयूआई व युवा कांग्रेस ने कोतवाली का घेराव किया

ऋषिकेश: छात्रसंघ चुनाव में विवाद के बाद एनएसयूआई व युवा कांग्रेस ने कोतवाली का घेराव किया, एबीवीपी पर लगाए गंभीर आरोप

ऋषिकेश। उत्तराखंड के ऋषिकेश में छात्रसंघ चुनाव के दौरान हुई विवादास्पद घटना ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। एनएसयूआई (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ) और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कोतवाली का घेराव कर आरोपितों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। कार्यकर्ताओं ने एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के सदस्यों पर चुनावी बवाल मचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के पर्व को कलंकित करने वाली घटना है। इस प्रदर्शन ने स्थानीय स्तर पर छात्र राजनीति की तनातनी को उजागर कर दिया है, जहां शांतिपूर्ण शहर का माहौल खराब होने की शिकायतें उठ रही हैं।

कोतवाली घेराव: कार्रवाई की मांग के साथ सड़क पर उतरे कार्यकर्ता

एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कोतवाली पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि चुनाव लोकतंत्र का उत्सव होता है, लेकिन एबीवीपी के लोग लगातार इसकी अवहेलना कर रहे हैं। ऋषिकेश जैसे शांतिपूर्ण शहर में ऐसी घटनाएं न केवल छात्रों के बीच वैमनस्य बढ़ाती हैं, बल्कि समग्र सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करती हैं।

प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला शांत किया। यह घटना छात्रसंघ चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ी कर रही है, जहां युवा संगठनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों के बयान: जातिगत अपशब्दों का गंभीर आरोप

प्रदर्शन में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और यूथ कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष गौरव राणा ने संबोधित करते हुए कहा, “दूसरे संगठन के कार्यकर्ता ऋषिकेश शहर में बिना किसी वजह के विवाद कर रहे हैं। यह शहर की शांति को भंग करने की साजिश है। हम ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।” गौरव राणा ने आगे जोर देकर कहा कि छात्रसंघ चुनाव में पारदर्शिता और शांति सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि युवाओं को सकारात्मक राजनीति का अवसर मिले।

इसी क्रम में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और एनएसयूआई महानगर अध्यक्ष हिमांशु जाटव ने एक गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव के दौरान उनके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर धमकाया गया। हिमांशु ने कहा, “यह न केवल व्यक्तिगत अपमान है, बल्कि सामाजिक सद्भाव के खिलाफ साजिश है। हम इसकी न्यायोचित जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई चाहते हैं।” जातिगत अपशब्दों का यह आरोप मामले को और संवेदनशील बना रहा है, जो अब सामाजिक न्याय के मुद्दे पर भी बहस छेड़ सकता है।

छात्र राजनीति में बढ़ती तनातनी: क्या है पृष्ठभूमि?

ऋषिकेश के आईआईटी रुड़की और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव हमेशा से ही जोरदार रहते हैं, लेकिन इस बार विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच लंबे समय से प्रतिस्पर्धा रही है, जहां चुनावी मैदान में नारे और बहस से आगे बढ़कर कभी-कभी हिंसक रूप धारण कर लेता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं युवा नेतृत्व को नकारात्मक दिशा दे रही हैं, जबकि छात्रसंघ चुनाव वास्तव में नेतृत्व विकास का माध्यम होना चाहिए।

उत्तराखंड में छात्र संगठनों के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। हाल ही में देहरादून और हरिद्वार में भी समान विवाद रिपोर्ट हुए हैं, जहां चुनावी हिंसा पर सवाल उठे हैं। राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को अब सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि भविष्य के चुनाव शांतिपूर्ण हों।

शांति और निष्पक्षता सुनिश्चित करें प्रशासन

यह घटना ऋषिकेश की छात्र राजनीति में एक चेतावनी का संकेत है। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस की मांगों पर त्वरित कार्रवाई न केवल विवाद को शांत करेगी, बल्कि छात्रों में विश्वास बहाल करेगी। जातिगत अपशब्दों जैसे गंभीर मुद्दों पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनानी होगी। क्या आपको लगता है कि छात्रसंघ चुनावों में कोड ऑफ कंडक्ट सख्त करने की जरूरत है? कमेंट में अपनी राय साझा करें। जय हिंद!

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