धर्म डेस्क: करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का सबसे पावन और प्रेम से भरा हुआ त्योहार है। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस वर्ष करवा चौथ व्रत 10 अक्तूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। रात को चांद के दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रत खोलती हैं।
💫 करवा चौथ व्रत का धार्मिक महत्व
करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य की कामना से जुड़ा हुआ है। यह व्रत स्त्रियों के समर्पण, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से पति के जीवन में सुख, सौभाग्य और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और मिट्टी के करवे, यानी घड़े में जल भरकर चंद्रदेव को अर्घ्य देती हैं।
🕉️ करवा चौथ पूजा विधि
- पूजा के लिए शाम के समय सूर्यास्त से पहले की घड़ी शुभ मानी जाती है।
- घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
- उस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेशजी और चंद्रदेव की तस्वीर स्थापित करें।
- चौथ माता को लाल रंग के पुष्प, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और मिठाई अर्पित करें।
- पूजा के बाद चौथ माता की कथा सुनें और रात्रि में चांद निकलने पर छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा देखें।
- चांद को अर्घ्य देते हुए यह प्रार्थना करें कि पति का जीवन लंबा और सुखद हो।
📅 पर्व की तिथि एवं विशेष जानकारी
पर्व | तिथि | दिन | मुख्य विशेषता |
---|---|---|---|
करवा चौथ 2025 | 10 अक्तूबर 2025 | शुक्रवार | कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, सुहागिनों का महापर्व |
चंद्रोदय समय | रात लगभग 8:15 बजे | (भारत समयानुसार) | चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाएगा |
🏠 करवा चौथ और वास्तु उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) करवा चौथ पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है।
- पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- चौथ माता को लाल वस्त्र, श्रृंगार और पुष्प अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है।
- पूजा में घी या तेल का दीपक जलाएं — इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।
- दीपक को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में रखना शुभ माना गया है, इससे शत्रुओं पर विजय और सुख-शांति बनी रहती है।
🌕 छलनी से चांद देखने की परंपरा
चंद्रमा को छलनी से देखने की परंपरा वीरवती नामक स्त्री की कथा से जुड़ी है। मान्यता है कि वीरवती ने जब झूठे चाँद को देखकर व्रत तोड़ा तो उसके पति की मृत्यु हो गई। वर्षभर कठोर तपस्या और व्रत करने के बाद चौथ माता ने प्रसन्न होकर उसके पति को जीवनदान दिया। तब से ही महिलाएं सच्चे चांद के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण की गहराई का प्रतीक है। यह दिन हर सुहागिन के लिए अपने सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना का अवसर है। व्रत के साथ किए गए वास्तु उपाय घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का संचार करते हैं।