उत्तराखंड – जहाँ की हर घाटी, हर पहाड़ी और हर नदी अपनी एक अलग कहानी कहती है, वहीँ के व्यंजन भी अपनी सादगी और पौष्टिकता में अनोखे हैं। इन व्यंजनों में झंगोरे की खीर उत्तराखंड की शान और पहाड़ी संस्कृति का प्रतीक है।
झंगोरा – पहाड़ी अनाज का पौष्टिक खजाना
झंगोरा, जिसे लोग फॉक्सटेल बाजरा या पोहा बाजरा के नाम से भी जानते हैं, हिमालयी क्षेत्रों में उगाया जाता है। ठंडी जलवायु इसे स्वाद और पौष्टिकता दोनों में परिपूर्ण बनाती है।
- पोषण से भरपूर: प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स का खजाना।
- स्वस्थ और हल्का: पचाने में आसान, ऊर्जा देने वाला।
उत्तराखंड के लोग इसे न केवल खाने में पसंद करते हैं, बल्कि इसे पर्वों और त्योहारों की शुभ परंपरा में भी शामिल करते हैं।
झंगोरे की खीर – पर्वों की मिठास
उत्तराखंड में मकर संक्रांति, तीज, भैनीमेला और अन्य लोक पर्वों पर झंगोरे की खीर का महत्व है। पहाड़ी लोग इसे केवल मिठाई नहीं, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।
इसे बनाने की परंपरा
झंगोरे को पहले भिगोकर उबाला जाता है। फिर उसमें गाय का दूध, गुड़ या शक्कर, केसर, इलायची और सूखे मेवे मिलाकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। धीरे-धीरे खीर गाढ़ी और मलाईदार बन जाती है, और उसकी खुशबू ही घर को पर्वों जैसा माहौल दे देती है।
झंगोरे की खीर से जुड़ी लोककथाएँ
कुछ लोककथाओं में कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर पहाड़ी लोग जब झंगोरे की खीर खाते हैं, तो यह अगले साल के लिए खुशहाली और स्वास्थ्य की गारंटी देती है। रुद्रप्रयाग और चमोली की घाटियों में अब भी बुजुर्ग इस खीर को बनाने और बांटने का खास तरीका बताते हैं, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी संजोकर रखा गया है।
झंगोरे की खीर – बनाने की विधि
सामग्री (4-5 लोगों के लिए)
- झंगोरा – 1 कप
- दूध – 1½ लीटर
- गुड़ या शक्कर – ½ कप
- घी – 2 चम्मच
- इलायची पाउडर – ½ चम्मच
- केसर – 5-6 धागे
- सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश) – ¼ कप
बनाने की स्टेप-बाय-स्टेप विधि
- झंगोरा भिगोना: 2-3 घंटे पानी में भिगो दें।
- उबालना: 2 कप पानी में झंगोरा नरम होने तक उबालें और छान लें।
- दूध मिलाना: दूध उबालें और उसमें उबला हुआ झंगोरा डालकर धीमी आंच पर पकाएँ।
- मसाले और मिठास: खीर गाढ़ी होने पर गुड़/शक्कर, इलायची पाउडर और केसर मिलाएँ।
- घी और मेवे डालना: 2 चम्मच घी और कटे मेवे डालकर हल्का मिलाएँ।
- परोसना: गरमा-गरम या ठंडी दोनों तरह परोस सकते हैं। ऊपर से थोड़ा और मेवा डालकर सजाएँ।
हेल्थ टिप्स
- गुड़ डालने से स्वाद हल्का और प्राकृतिक मीठास मिलता है।
- अगर चाहें, आधा कप क्रीम या खोया डालकर खीर को और मलाईदार बना सकते हैं।
- डायबिटीज़ में चीनी की जगह गुड़ इस्तेमाल करें।
स्वास्थ्य लाभ – स्वाद के साथ सेहत
- पाचन में सहायक: हल्का और आसानी से पचने वाला।
- ऊर्जा का स्रोत: पहाड़ों की मेहनत और यात्रा के दौरान तुरंत ऊर्जा देता है।
- हड्डियों और मांसपेशियों के लिए लाभकारी: कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर।
- मधुमेह रोगियों के लिए विकल्प: गुड़ का उपयोग करें तो बेहतर।
उत्तराखंड की संस्कृति में झंगोरे की खीर का महत्व
उत्तराखंड की घाटियों में झंगोरे की खीर केवल खाना नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और पर्वों का प्रतीक है। पर्वों पर इसे बनाना, परिवार और पड़ोसियों में बांटना सौभाग्य और समृद्धि का संदेश देता है।
स्वाद के साथ यादें
ऋषिकेश के स्थानीय मेले हों या नैनीताल की सर्द पहाड़ियों की ठंडी सुबह, झंगोरे की खीर का स्वाद बच्चों और बड़ों की आंखों में चमक भर देता है। इसे खाने की परंपरा में परिवार की यादें और पहाड़ी संस्कृति की मिठास घुली होती है।