देहरादून मॉडल रोड पर अतिक्रमण और अधूरे फुटपाथ का दृश्य

देहरादून: 8 साल बाद भी अधर में लटकी मॉडल रोड परियोजना, अतिक्रमण और अधूरे कामों से शहरवासी परेशान

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आईएसबीटी से घंटाघर तक फैली साढ़े छह किलोमीटर लंबी मॉडल रोड का सपना आज भी अधूरा पड़ा है। साल 2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक द्वारा शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अतिक्रमण, अधूरे फुटपाथ और नालियों के कारण यह रोड आदर्श बनने के बजाय शहरवासियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। जिला प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही से सड़क पर 500 से अधिक अवैध कब्जे हो चुके हैं, जिससे पैदल यात्री और वाहन चालक दोनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मॉडल रोड का सपना: शुरुआत से ही असफलता की कहानी

2017 में मदन कौशिक ने देहरादून मॉडल रोड को अतिक्रमण मुक्त बनाने का बीड़ा उठाया था। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था, जहां उन्होंने खुद पैदल और ई-रिक्शा से सड़क का जायजा लिया। जून 2017 में जेसीबी चलाकर दर्शनलाल चौक, इनामुल्ला बिल्डिंग, माजरा और निरंजनपुर जैसे इलाकों में बड़े अतिक्रमण हटाए गए। लेकिन काम आधा-अधूरा रह गया। फुटपाथ, नालियां और रेलिंग का निर्माण अधर में लटक गया, और जहां काम हुआ भी, वहां फिर से कब्जे हो गए।

आज स्थिति यह है कि शिमला बाईपास से लालपुल, पटेलनगर से सहारनपुर चौक और गांधी रोड से घंटाघर तक हर जगह अतिक्रमण फैला हुआ है। आढ़त बाजार के बॉटलनेक पर चल रही परियोजना भी बुरी हालत में है। पैदल चलने वाले फुटपाथ पर नहीं चल पाते, क्योंकि वहां दुकानें, वाहन और होर्डिंग्स ने कब्जा कर रखा है।

फुटपाथ पर अतिक्रमण का बोलबाला: होर्डिंग्स से लेकर कार बाजार तक

मॉडल रोड के फुटपाथ पर नगर निगम ने खुद 10 बड़े होर्डिंग्स लगा रखे हैं, जो पैदल यात्रियों के लिए खतरा बने हुए हैं। अंधेरे में इनसे टकराने का डर रहता है। माजरा इलाके में सड़क के दोनों ओर 8 से अधिक प्राइवेट क्रेन पार्क की गई हैं, जिन्हें पुलिस भी हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। ये क्रेन कई बार दुर्घटनाओं का कारण बन चुकी हैं।

माजरा से भूसा स्टोर तक तीन किलोमीटर के इलाके में फुटपाथ पर कार बाजार सजा हुआ है। होटल सुंदर पैलेस के सामने, ब्रिडकुल पास, पटेलनगर और मातावाला बाग तक कारें सड़क तक पार्क की जा रही हैं। इससे न केवल पैदल चलना मुश्किल है, बल्कि वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है। जाम लगने पर शहरवासी घंटों फंसे रहते हैं।

गैराज और वर्कशॉप्स का कब्जा: 112 से अधिक इकाइयां फुटपाथ पर

पूरी साढ़े छह किलोमीटर की रोड पर 28 गैराज और 84 वर्कशॉप फुटपाथ पर चल रहे हैं। यहां बाइक और कारों की रिपेयरिंग सड़क पर ही होती है, जिससे पैदल यात्रियों को राजमार्ग पर जान जोखिम में डालकर चलना पड़ता है। माजरा, गांधी रोड और इनामुल्ला बिल्डिंग जैसे इलाकों में यह समस्या सबसे गंभीर है।

गांधी रोड पर प्रिंस चौक से दर्शनलाल चौक तक दिन-रात कब्जे रहते हैं। दुकानें सड़क तक फैली रहती हैं, और रात 12 बजे तक होटल व रेस्तरां फुटपाथ पर सजे रहते हैं। फायर स्टेशन के सामने मीट रेस्तरां के बाहर वाहनों की पार्किंग से आधी सड़क घिरी रहती है, जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है।

अन्य अवरोध: ट्रांसफॉर्मर, पोल और हैंडपंप बने बाधा

मॉडल रोड पर बिजली के 30 से अधिक पोल, 6 ट्रांसफॉर्मर और 3 हैंडपंप फुटपाथ के बीचों-बीच खड़े हैं। निर्माण के समय इन्हें शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। पेड़ और अन्य बाधाएं भी रोड को आदर्श बनाने में रोड़ा बनी हुई हैं।

8 करोड़ रुपये पानी में: अधूरे कामों से दुर्घटनाओं का खतरा

प्रशासन का दावा है कि मॉडल रोड पर 8 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन हकीकत में यह पैसा बर्बाद लग रहा है। लालपुल से प्रिंस चौक तक नालियां और फुटपाथ टूट चुके हैं, और 22 जगहों पर नालियां खुली पड़ी हैं। प्रिंस चौक से घंटाघर तक रेलिंग का काम अधूरा है। टाइल्स और स्लैब भी जगह-जगह टूटे हुए हैं, जो दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। जल निकासी की समस्या से सड़क पर पानी जमा रहता है।

मॉडल रोड परियोजना का विवरण

विभाग दूरी (किमी) बजट (करोड़ रुपये)
लोनिवि प्रांतीय खंड 1 2
लोनिवि निर्माण खंड 3.5 4
एनएच देहरादून 2 3

क्या कहते हैं शहरवासी और विशेषज्ञ?

शहरवासियों का कहना है कि मॉडल रोड का अधूरा रहना प्रशासन की विफलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नियमित अभियान और सख्ती से अतिक्रमण रोका जा सकता है। लेकिन 8 साल बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब सवाल यह है कि क्या धामी सरकार इस परियोजना को पूरा कर पाएगी? शहरवासियों को उम्मीद है कि जल्द ही मॉडल रोड का सपना हकीकत बनेगा, वरना यह देहरादून की शहरी विकास की असफलता का प्रतीक बनी रहेगी।

(यह खबर देहरादून मॉडल रोड की मौजूदा स्थिति पर आधारित है।)

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