यमकेश्वर। यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के गंगा भोगपुर तल्ला कौड़िया गांव में लगभग नौ करोड़ रुपये की लागत से बना तटबंध भी गांव की भूमि और संपर्क मार्ग को कटाव से नहीं बचा पाया। ग्रामीणों ने संबंधित सिंचाई विभाग और ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
बारिश और गंगा के उफान ने बढ़ाई समस्या
बीते माह हुई बारिश और गंगा के उफान के चलते तटबंध को भारी नुकसान पहुंचा। नदी की लहरों ने मुख्य संपर्क मार्ग को पूरी तरह से कट लिया और गांव की सुरक्षा की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष गंगा का पानी खेत, खलिहान और घरों तक घुसकर नुकसान पहुंचाता है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल
सामाजिक कार्यकर्ता शशि कंडवाल ने कहा कि नौ करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी गांव सुरक्षित नहीं है। उन्होंने ठेकेदार के कार्य पर सवाल उठाए और सरकार से तटबंध को मजबूती से बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम कुकरेती ने नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह टूटे तटबंध का जायजा लेने तक नहीं गई। उन्होंने कहा कि बिना सही जानकारी के सरकार समस्या का समाधान नहीं कर सकती।
लगातार कटान और जमीन बिक्री की चिंता
गांव में गंगा के लगातार कटाव के डर से ग्रामीण अपनी जमीन और खेत बेचने को मजबूर हो गए हैं। अधिकांश जमीनें बाहरी राज्यों के लोगों को बेच दी गई हैं, जिन्होंने रिजॉर्ट, फार्महाउस और अन्य ऐशगाह विकसित करना शुरू कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की गतिविधियां उत्तराखंड की जल, जंगल, जमीन और संस्कृति पर खतरा डाल रही हैं। कुछ लोग केवल पैसों के लालच में अपनी जमीन बेचकर राज्य के परिवेश को बदलने का काम कर रहे हैं।