धर्म डेस्क, ऋषिकेश। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार, 25 सितंबर 2025 को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर भक्तगण श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। साथ ही दिनभर व्रत रखकर गणपति बप्पा की कृपा पाने का संकल्प लिया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक पर भगवान गणेश की विशेष कृपा बरसती है और मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और गणपति की विधि-विधान से पूजा करने पर साधक को सौभाग्य, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
- भगवान गणेश विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाते हैं।
- इस दिन उनकी पूजा करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- श्रद्धापूर्वक आराधना करने पर मनचाहा वरदान मिलता है।
बन रहे हैं विशेष योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार आश्विन माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पूजा का महत्व और अधिक है।
- आज के दिन रवि योग समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
- मान्यता है कि इन विशेष योगों में गणेश पूजन करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।
- इसीलिए आज का दिन भक्तों के लिए अत्यंत मंगलकारी और फलदायी है।
पूजा विधि और आरती का महत्व
गणेश चतुर्थी पर भक्त प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और गणपति बप्पा की मूर्ति या चित्र की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन करते हैं।
- पूजन में धूप, दीप, पुष्प, दूर्वा और मोदक का विशेष महत्व है।
- व्रत रखने वाले दिनभर एकाग्रचित होकर गणेश जी का ध्यान करते हैं।
- पूजा के अंत में श्री गणेश जी की आरती करने का विशेष महत्व है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:॥
॥श्री गणेश जी की आरती॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥