अपडेटेड (ये भी पढ़ें): UKSSSC पेपर लीक के विरोध में छात्रों के आंदोलन में बहुरूपियों का खेल
उत्तराखंड में संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा छात्र संघ के पदाधिकारी देहरादून से लौटते समय नेपाली फार्म में मारपीट का शिकार हुए। पदाधिकारी इस समय मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगौली से मिलने गए थे।
छात्र संघ ने सचिव को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि पेपर लीक नहीं हुआ है, और यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो वह केवल एक परीक्षा केंद्र तक सीमित है। उनका अनुरोध था कि परीक्षा रद्द करने का कोई निर्णय केवल संबंधित परीक्षा केंद्र के संदर्भ में ही लिया जाए।
सचिव को दिया गया ज्ञापन
छात्र संघ ने ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया कि परीक्षा पूरी तरह से निष्पक्ष, पारदर्शी और नकलमुक्त हुई। उन्होंने बताया कि परीक्षा शुरू होने के लगभग आधे घंटे बाद कुछ व्यक्तियों के पास प्रश्नपत्र की तस्वीरें आईं, जिसे लेकर भ्रामक माहौल बनाया गया।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि छात्रों को आयोग पर पूरा भरोसा है और यह परीक्षा भी पिछले वर्षों की तरह निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुई।
विवाद का कारण
छात्र संघ का कहना है कि कुछ लोग परीक्षा शुरू होने से पहले इसे रोकने में लगे थे, और अब परीक्षा के परिणाम को निरस्त करने का प्रयास कर रहे हैं। छात्र संघ ने आगाह किया कि यदि परीक्षा निरस्त हुई तो यह उनकी वर्षों की मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
छात्र संघ ने स्पष्ट रूप से कहा कि:
- परीक्षा को रद्द न किया जाए।
- परिणाम शीघ्र जारी किए जाएँ।
- छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखा जाए।
मारपीट की घटना और पुलिस जांच
छात्र संघ ने बताया कि सचिव से मिलने के बाद लौटते समय उनका वाहन नेपाली फार्म पर रोक लिया गया और मारपीट की गई। इस मामले में रायवाला पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर दी है।
सचिव की प्रतिक्रिया
सचिव शैलेश बगौली ने छात्रों को आश्वासन दिया कि आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। सचिव से मिलने वाले छात्रों में शामिल थे: इशांत रौथाण, रामपाल सिंह, विनोद आजाद, उमेश कुमार, मोहित, धुरेंद्र, अर्जुन सिंह, मनेंद्र कुमार, शिवम.
सचिव ने छात्रों को भरोसा दिलाया कि परीक्षा निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुई और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।
उत्तराखंड में संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा छात्र संघ पर मारपीट और ज्ञापन सौंपने की घटना यह दर्शाती है कि छात्र अपने अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा के प्रति सजग हैं।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि परीक्षा आयोग और राज्य प्रशासन छात्रों की सुरक्षा और परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
परीक्षा परिणाम और छात्रों की मेहनत का सम्मान करना आवश्यक है, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित और सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ सके।