सतपुली: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सतपुली क्षेत्र में गुलदार के हमलों से ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को जिलाधिकारी और वन विभाग के अधिकारियों से बात कर एकेश्वर और पोखड़ा ब्लॉकों के प्रभावित गांवों में पर्याप्त पिंजरे लगाने के सख्त निर्देश दिए। गुलदार के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए कैमरा ट्रैप और नियमित गश्त की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।
गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में दहशत: ग्रामीणों का दैनिक जीवन प्रभावित
पोखड़ा और एकेश्वर विकासखंडों में गुलदार के बार-बार हमलों से ग्रामीणों के रोजमर्रा के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं। खेतों में काम करने से लेकर रात के समय घर से बाहर निकलना तक जोखिम भरा हो गया है। सतपाल महाराज ने बयान जारी कर बताया कि उन्होंने जिलाधिकारी गढ़वाल और गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ समेत उच्च अधिकारियों से फोन पर चर्चा की। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था, वन कर्मियों की नियमित गश्त, और कैमरा ट्रैप लगाने के आदेश दिए।
मंत्री ने कहा, “गुलदारों के मूवमेंट का पता लगाने से हमलों को रोका जा सकता है। वन विभाग स्थिति पर नजर रखे हुए है और सक्रिय गुलदारों को ट्रेंकुलाइज करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेंकुलाइजर गन उपलब्ध कराई गई हैं।”
वन विभाग की तैयारियां: ट्रेंकुलाइजर और कैमरा ट्रैप तैनात
वन विभाग ने प्रभावित गांवों में पिंजरे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कैमरा ट्रैप से गुलदार की लोकेशन ट्रैक की जाएगी, जिससे उसे पकड़ना आसान होगा। ट्रेंकुलाइजर गन से बेहोश कर गुलदार को सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जा सकेगा। सतपाल महाराज ने ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की है, जैसे कि रात में अकेले न निकलना, पशुओं को सुरक्षित रखना, और वन विभाग को तुरंत सूचना देना।
मंत्री का हस्तक्षेप: ग्रामीणों को राहत की उम्मीद
सतपाल महाराज का त्वरित हस्तक्षेप प्रभावित क्षेत्रों में राहत की उम्मीद जगा रहा है। पौड़ी जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं, और मंत्री के निर्देशों से वन विभाग सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी ने भी पुष्टि की कि सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दी जा रही है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष पर सतर्कता जरूरी
यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में गुलदार जैसे वन्यजीवों के मानव बस्तियों में घुसने की बढ़ती समस्या को उजागर करती है। सतपाल महाराज के निर्देशों से तात्कालिक राहत मिलेगी, लेकिन लंबे समय के लिए जागरूकता अभियान, सुरक्षित आवास और वन संरक्षण पर फोकस जरूरी है। ग्रामीणों को सतर्क रहते हुए वन विभाग के साथ सहयोग करना होगा, ताकि ऐसी घटनाएं रुकें और जीवन सामान्य हो।