जहाँ एक ओर सरकार पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा पखवाड़ा मना रही है, वहीं दूसरी ओर ऋषिकेश का प्रमुख सरकारी अस्पताल खुद स्वास्थ्य सुविधाओं की गंभीर कमी से जूझ रहा है। इलाज कराने पहुंचे मरीज न तो पर्याप्त सेवाएं पा रहे हैं और न ही आवश्यक जांच सुविधाओं का लाभ उठा पा रहे हैं। इससे गुस्साए मरीजों ने सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्टाफ और डॉक्टरों की कमी से हताश मरीज
लंबे समय से यह अस्पताल डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी झेल रहा है। हालत यह है कि गंभीर रोगियों और सड़क हादसों के घायलों को भी बेहतर उपचार के बजाय उच्च केंद्रों में रेफर कर दिया जाता है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को समय, पैसा और मानसिक तनाव—तीनों का सामना करना पड़ता है।
अल्ट्रासाउंड कक्ष पर ताला
बीते कुछ दिनों से अस्पताल का अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद पड़ा है। दरअसल, अस्पताल के सीएमएस और रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. यूएस खारोला बीमार होने के चलते निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी अनुपस्थिति में अल्ट्रासाउंड सेवा पूरी तरह ठप कर दी गई है।
सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को
अल्ट्रासाउंड न मिलने से गर्भवती महिलाओं को भारी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। मजबूरी में वे शहर के निजी केंद्रों का सहारा ले रही हैं, जिससे उनका खर्च कई गुना बढ़ गया है। कई मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पताल की सुविधा बंद होना उनके लिए दोहरी मार है—एक तरफ अतिरिक्त खर्च और दूसरी ओर समय की बर्बादी।
प्रशासन ने दिया आश्वासन
इस मामले पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कैलाश ढोंडियाल ने बताया कि स्थिति संज्ञान में है और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी जानकारी दे दी गई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द से जल्द अल्ट्रासाउंड सुविधा बहाल करने और अस्पताल की बाकी समस्याओं के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।
👉 यह खबर ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल की जमीनी हकीकत बयां करती है—जहाँ जनता इलाज की उम्मीद लेकर आती है, वहीं उन्हें बदइंतजामी और अधूरी सुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।