मसूरी: हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश का कहर अभी तक झड़ीपानी क्षेत्र के लोगों को डर के साये में जीने को मजबूर कर रहा है। यहां जमीन दरकने और बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने से भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। लोग अपने ही घरों में रहने से कतरा रहे हैं।
भूस्खलन की चपेट में मजदूर की मौत
बीती 15 सितंबर की रात तेज बारिश के दौरान झड़ीपानी में भूस्खलन हुआ। मलबा और पत्थर खिसकने से दो नेपाली मजदूर इसकी चपेट में आ गए, जिनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद से जमीन 2–3 फीट तक धंस रही है। अब दरारें सड़कों और घरों की दीवारों तक पहुंच चुकी हैं, जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है।
माताओं की पुकार: बच्चों को स्कूल भेजना भी खतरे से भरा
स्थानीय महिलाएं कहती हैं कि हर बारिश के बाद उन्हें घर छोड़कर बाहर शरण लेनी पड़ती है। “अब बच्चों को स्कूल भेजना भी खतरे से खाली नहीं है,” एक महिला ने आंसुओं के साथ कहा।
नेताओं का दौरा, पर कार्रवाई नदारद
घटना के अगले दिन मसूरी विधायक व कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी और एसडीएम राहुल आनंद ने निरीक्षण किया और भूवैज्ञानिक व आपदा प्रबंधन टीम भेजने के निर्देश दिए। लेकिन एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी न तो कोई सर्वे टीम आई और न ही राहत कार्य शुरू हुआ।
ग्रामीणों की मांग: चेक नहीं, सुरक्षा चाहिए
ग्रामीणों ने साफ कहा है— “सरकार हादसे के बाद चेक थमा कर इतिश्री करना चाहती है, लेकिन हमें सुरक्षा चाहिए।” उनकी मांग है कि जल्द से जल्द चेक डैम और आरसीसी रिटेनिंग वॉल का निर्माण हो, ताकि जमीन धंसाव रोका जा सके।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप: प्रशासन पूरी तरह फेल
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि मंत्री और अफसर केवल कैमरे के सामने आते हैं। असल में कोई भूवैज्ञानिक या आपदा प्रबंधन टीम अब तक नहीं पहुंची। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कदम नहीं उठाया गया तो स्थानीय लोग आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
प्रशासन का दावा
एसडीएम राहुल आनंद ने कहा कि झड़ीपानी क्षेत्र संवेदनशील है और सरकार-प्रशासन लगातार प्रयासरत है। धंसाव के कारणों की जांच के लिए जल्द टीम भेजी जाएगी और प्रभावित परिवारों की मदद की जाएगी।