हरिद्वार: हरिद्वार के नगर कोतवाली क्षेत्र के ब्रह्मपुरी में एक दिल दहला देने वाली और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। रविवार की शाम जिला अस्पताल के पीछे, पोस्ट ऑफिस के पास रेलवे लाइन के किनारे कूड़े के ढेर में एक नवजात शिशु का शव प्लास्टिक की पन्नी में लिपटा हुआ मिला। स्थानीय लोगों की नजर तब पड़ी, जब एक कुत्ते ने पन्नी को नोचकर शिशु की हथेली को क्षतिग्रस्त कर दिया। सूचना पर तुरंत पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और जांच शुरू कर दी।
कुत्ते की हरकत से खुला क्रूरता का राज
पुलिस के अनुसार, यह घटना रविवार शाम की है। ब्रह्मपुरी क्षेत्र में रेलवे लाइन के किनारे कूड़े के ढेर में प्लास्टिक की पन्नी में लपेटकर एक नवजात शिशु को फेंक दिया गया था। अनुमान है कि शिशु दो दिन से भी कम उम्र का था और जन्म के कुछ ही घंटों बाद उसे कूड़े में डाला गया। जब एक आवारा कुत्ते ने पन्नी को खींचकर शिशु की हथेली को नोच लिया, तब आसपास के लोगों का ध्यान इस ओर गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत स्थानीय पार्षद सोहित सेठी को सूचना दी, जिन्होंने पुलिस और जिला अस्पताल को अलर्ट किया।
शिशु को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक जांच में माना जा रहा है कि बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही मृत अवस्था में या जीवित अवस्था में फेंका गया होगा। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में भेज दिया है और आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालना शुरू कर दिया है।
पुलिस की जांच शुरू, दोषियों की तलाश तेज
नगर कोतवाली के प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि नवजात शिशु बालक प्रतीत हो रहा है और उसकी उम्र दो दिन से कम आंकी जा रही है। “हम आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि शिशु को किसने और क्यों फेंका। दोषियों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा,” उन्होंने कहा। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और यह आशंका जताई जा रही है कि किसी ने सामाजिक लज्जा छिपाने या अन्य व्यक्तिगत कारणों से इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया।
स्थानीय लोग आक्रोशित, कड़ी कार्रवाई की मांग
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग इस क्रूरता को मानवता पर कलंक बता रहे हैं। स्थानीय पार्षद सोहित सेठी, जो घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे, ने इसे “दुखद और शर्मनाक” बताया। उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाएं समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। हमें जनजागरूकता बढ़ाने और सख्त कानून लागू करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” उन्होंने प्रशासन से दोषियों को तुरंत पकड़कर कड़ी सजा देने की मांग की।
समाज में बढ़ती ऐसी घटनाएं: क्या है कारण?
हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर में इस तरह की घटनाएं न केवल चौंकाती हैं, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर भी सवाल उठाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सामाजिक दबाव, लैंगिक भेदभाव, और जागरूकता की कमी ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती है। पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में नवजातों को कूड़े में फेंकने या परित्याग करने की घटनाएं बढ़ी हैं। प्रशासन ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए “आशा केंद्र” और “पालना योजना” जैसी पहल शुरू की हैं, जहां अनचाहे बच्चों को सुरक्षित रूप से छोड़ा जा सकता है।
प्रशासन और समाज के लिए सबक
- सीसीटीवी और निगरानी बढ़ाएं: सार्वजनिक स्थानों पर और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।
- जागरूकता अभियान: सामाजिक लज्जा और अनचाहे गर्भ को लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
- कानूनी कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से डर पैदा हो सकता है।
- सुरक्षित विकल्प: पालना योजना जैसे कार्यक्रमों को और प्रचारित करने की जरूरत है।
यह घटना न केवल हरिद्वार, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। मानवता की रक्षा के लिए हमें संवेदनशीलता, जागरूकता और कठोर कदम उठाने होंगे।