ऋषिकेश। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के उद्देश्य से शुरू किया गया एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) अब लगातार भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से सुर्खियों में है। करोड़ों के घोटाले सामने आने के बाद CBI ने अब तक तीन मुकदमे दर्ज किए हैं, जिनमें प्रोफेसरों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक को आरोपित बनाया गया है।
स्वीपिंग मशीन और दवा खरीद घोटाला
वर्ष 2022 में सामने आए पहले मामले में साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी उजागर हुई। सीबीआई जांच में पाया गया कि निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं बरतकर एक अयोग्य कंपनी को टेंडर दिया गया और करीब 2 करोड़ रुपये की पुरानी मशीन खरीदी गई, जो मुश्किल से 124 घंटे ही चली।
इसी तरह मेडिकल स्टोर के आवंटन में भी नियमों की अनदेखी की गई और त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को गलत तरीके से टेंडर दिया गया। सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद एम्स के तत्कालीन प्रोफेसर, प्रशासनिक अधिकारी और लेखाधिकारी सहित पांच आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है।
उपकरणों की खरीद में बड़ा घोटाला
दूसरा मामला अगस्त 2023 में दर्ज हुआ, जब एम्स ऋषिकेश ने उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितताएं कीं। पहले जिन उपकरणों को एम्स ने 19.90 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदा था, उन्हें दोबारा 54 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदा गया।
करीब 3.83 करोड़ रुपये की खरीद के बावजूद इन उपकरणों को तीन साल तक उपयोग में नहीं लाया गया। सीबीआई के मुताबिक, इस खरीद में 6.57 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की गई। इस मामले में भी कई प्रोफेसर और निजी कंपनियों के संचालकों पर केस दर्ज किया गया है।
बार-बार विवादों में क्यों आ रहा एम्स ऋषिकेश?
एम्स ऋषिकेश की नींव 2004 में रखी गई थी और 2012 से यहां ओपीडी व सर्जरी सुविधाएं शुरू हुईं। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की पहचान बनाने के बजाय यह संस्थान पिछले कुछ सालों में घोटालों और अनियमितताओं से ज्यादा जुड़ गया है।
सरकार और सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने अब तक कुल 09 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है और जांच जारी है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा यह संस्थान अब पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवालों के घेरे में है।