देहरादून: उत्तराखंड के लोक संगीत के सितारे मंगलेश डंगवाल, जिन्होंने ‘माया बांद’ जैसे गीतों से पहाड़ी धुनों को नई ऊंचाई दी, आजकल अपने सुरों से ज्यादा एक वायरल फोटो के कारण सुर्खियों में हैं। यह फोटो उनकी कार का है, जिस पर ‘ब्रांड एंबेसडर वन विभाग’ लिखा बोर्ड लगा है। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल होते ही सवालों का सैलाब आ गया—आखिर लोकगायक कब वन विभाग के ब्रांड एंबेसडर बने? क्या उन्हें यह टाइटल अपनी निजी गाड़ी पर लगाने का हक है? विवाद बढ़ते ही वन विभाग ने डंगवाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
वायरल फोटो का राज: ब्रांड एंबेसडर का दुरुपयोग?
सोशल मीडिया पर तेजी से फैली इस फोटो में मंगलेश डंगवाल अपनी कार के सामने मुस्कुराते नजर आ रहे हैं, लेकिन ध्यान सबके ‘ब्रांड एंबेसडर वन विभाग’ वाले बोर्ड पर है। यूजर्स ने टिप्पणियां कीं—कुछ ने इसे विभाग की मिसाल बताया, तो कुछ ने सवाल उठाया कि क्या यह आधिकारिक है या निजी प्रचार का जरिया? ईटीवी भारत ने जब डंगवाल से संपर्क साधा, तो उनके परिजनों ने बताया कि वे व्यस्त हैं और फिलहाल कोई बयान नहीं दे सकेंगे।
यह विवाद 2023 के एक पुराने आयोजन से जुड़ा है। वन विभाग के भागीरथी सर्कल ने टिहरी में आयोजित खेल कार्यक्रम के दौरान डंगवाल को लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार और वन संरक्षण में योगदान के लिए सम्मानित किया था। उसी समय उन्हें ‘भागीरथी सर्कल ब्रांड एंबेसडर’ का सर्टिफिकेट सौंपा गया, जिस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल के हस्ताक्षर थे। लेकिन विभाग का कहना है कि यह टाइटल विशिष्ट आयोजन तक सीमित था, न कि स्थायी या निजी उपयोग के लिए।
वन विभाग की कार्रवाई: कारण बताओ नोटिस क्यों?
विवाद की आंच बढ़ते ही वन विभाग ने तुरंत एक्शन लिया। भागीरथी सर्कल के चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर (CF) धर्म सिंह मीणा ने नोटिस जारी करने की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “नोटिस में स्पष्ट रूप से पूछा गया है कि डंगवाल ने ‘ब्रांड एंबेसडर’ शब्द को अपने निजी पहचान या कामकाज के लिए क्यों इस्तेमाल किया। यह विभाग की छवि से जुड़ा मामला है, इसलिए जवाब की प्रतीक्षा है।” मीणा के अनुसार, बोर्ड लगाना आधिकारिक अनुमति के बिना अनुचित है, जो विभाग की गरिमा को प्रभावित कर सकता है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी 2023 की नियुक्ति की पुष्टि की, लेकिन जोर देकर कहा कि यह एक विशेष कार्यक्रम के लिए था। “डंगवाल ने लोकगीतों के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता फैलाई है, लेकिन टाइटल का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं,” उन्होंने संक्षेप में कहा। विभाग ने स्पष्ट किया कि ब्रांड एंबेसडर की भूमिका जागरूकता अभियानों तक सीमित है, न कि व्यक्तिगत वाहनों पर प्रचार के लिए।
सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं: समर्थन और आलोचना
फोटो वायरल होते ही X (पूर्व ट्विटर) पर बहस छिड़ गई। कुछ यूजर्स ने डंगवाल का समर्थन किया, कहते हुए कि यह पहाड़ी कलाकार का सम्मान है। एक पोस्ट में लिखा गया, “वन विभाग के ब्रांड एंबेसडर मंगलेश डंगवाल को धमकी कौन दे सकता है?” वहीं, दूसरी ओर आलोचना भी हुई—कईयों ने इसे विभाग के टाइटल का ‘व्यावसायिक दुरुपयोग’ बताया। एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “कार पर बोर्ड लगाना विभाग की अनुमति के बिना गलत है।” कुल मिलाकर, यह विवाद उत्तराखंड की सांस्कृतिक हस्तियों और सरकारी विभागों के बीच संवाद की कमी को उजागर कर रहा है।
जवाब का इंतजार, सबक क्या?
मंगलेश डंगवाल का यह विवाद लोक संगीत से ज्यादा प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े करता है। 2023 में दिया गया सर्टिफिकेट सम्मानजनक था, लेकिन इसका दायरा स्पष्ट न होने से यह बवाल बन गया। विभाग को अब साफ गाइडलाइंस जारी करने की जरूरत है, ताकि कलाकारों का योगदान बिना विवाद के बढ़े। डंगवाल का जवाब आने पर ही मामला सुलझेगा—क्या यह सिर्फ गलतफहमी साबित होगा या बड़ा सबक? आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।