यमकेश्वर: बीन नदी पुल लंबे समय से चर्चा में रहा है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ‘बीन नदी’ असल में ‘बीच नदी’ है। स्थानीय निवासियों और इतिहासकारों के अनुसार, यह नाम वर्षों पहले गलत उच्चारण और अधिकारिक दस्तावेज़ों में त्रुटि के कारण बदल गया।
कैसे ‘बीच नदी’ बनी ‘बीन नदी’
स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, यह नदी ताल और त्याड़ो नदी के संगम से बनती है। विन्ध्यवासनी मंदिर के पास दोनों नदियों का मिलन होता है, और वहां से आगे यह धमान्दा पर्वत और कुसुमघाटी की दो पहाड़ियों के बीच बहने के कारण ‘बीच नदी’ कहलाती है।
लेकिन, क्षेत्र के विकास और नए बस्तियों के बसने (लगभग 1960–1980 के दशक) के दौरान, प्रशासनिक दस्तावेज़ों में इसे ‘बीन नदी’ लिखा गया — जो समय के साथ प्रचलित नाम बन गया।
स्थानीय इतिहास और मार्ग
अंग्रेज़ी शासनकाल में इस क्षेत्र से होकर दो प्रमुख पैदल मार्ग गुजरते थे —
- पहला मार्ग विन्ध्यवासनी से ताल, कण्डरह, हाथथाम, उमरथाम और चमकोटखाल होते हुए सीला व काण्डी तक जाता था।
- दूसरा मार्ग त्याड़ो, कुशासील और खेड़ा रोडी से होकर यमकेश्वर में मिलता था।
इन मार्गों से गुजरने वाली नदी को ‘बीच नदी’ के नाम से ही जाना जाता था।
नोट: यह जानकारी स्थानीय निवासी हरीश कण्डवाल (मनखी) द्वारा क्षेत्र के बुजुर्गों से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है।