पौड़ी: उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की हालत एक बार फिर चर्चा में है। पौड़ी जिला अस्पताल से सामने आए एक वीडियो ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है, जिसमें डॉक्टर और कर्मचारी बिजली न होने के बावजूद मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का उपचार करते नजर आए। इस घटना के बाद लोगों में भारी आक्रोश देखा गया है।
मोबाइल टॉर्च में इलाज का वीडियो वायरल
जानकारी के अनुसार बीती शुक्रवार की शाम पौड़ी जिला अस्पताल में ग्रिड फेल होने से लगभग एक घंटे तक बिजली बाधित रही। इसी दौरान आकस्मिक विभाग में डॉक्टरों को मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ा। अस्पताल में जनरेटर उपलब्ध था, लेकिन उसमें डीजल की कमी और तकनीकी खराबी के कारण यह काम नहीं कर पाया। इस दौरान अस्पताल पहुंचे मरीज और उनके परिजन काफी परेशान हुए।
स्थानीय लोगों की चिंता
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल पौड़ी न केवल शहर बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी उपचार का मुख्य केंद्र है। यदि यहां बिजली या बैकअप की उचित व्यवस्था नहीं है, तो ग्रामीण अस्पतालों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
ऋत्विक असवाल, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, गढ़वाल विश्वविद्यालय ने बताया,
“मैं अपनी बीमार बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाया था, लेकिन बिजली बाधित होने के बाद भी करीब एक घंटे तक जनरेटर नहीं चला। डॉक्टर मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे।”
प्रशासन ने दिया स्पष्टीकरण
डॉ. सुनील शर्मा, प्रभारी पीएमएस, पौड़ी जिला अस्पताल ने कहा,
“विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर जनरेटर संचालन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तकनीकी खामी के चलते कुछ समय तक व्यवस्था प्रभावित रही। संबंधित कार्मिकों को भविष्य में लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।”
पहले भी हो चुकी है ऐसी स्थिति
यह पहला मौका नहीं है जब अस्पताल में इस तरह की समस्या सामने आई हो। 12 जनवरी को देहलचौरी मोटर मार्ग पर हुए बस हादसे के दौरान भी बिजली बाधित होने के कारण डॉक्टरों ने मोबाइल की रोशनी में घायलों का इलाज किया था।
गोविंद सिंह रावत, एसडीओ, विद्युत वितरण खंड ने बताया कि जनरेटर संचालन न होने की शिकायतें कई बार मिल चुकी हैं। डीजल की कमी और रखरखाव में लापरवाही के कारण यह स्थिति बार-बार सामने आती है।
विपक्ष ने उठाई सरकार पर सवाल
पौड़ी युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मोहित सिंह और एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव अंकित सुंदरियाल ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की बातें करती है, लेकिन हकीकत सबके सामने है। उन्होंने मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इस घटना ने राज्य में सरकारी अस्पतालों की मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।