तलसारी, पौड़ी गढ़वाल: 21 अगस्त 2025 की सुबह तलसारी गांव निवासी जितेंद्र सिंह (32 वर्ष) ने अपनी कार में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले जितेंद्र ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने भाजपा नेता और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के ओएसडी हिमांशु चमोली पर गंभीर आरोप लगाए।
वीडियो में जितेंद्र ने बताया कि उनकी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हिमांशु चमोली हैं और उन्होंने नेता पर पैसे और प्रॉपर्टी के लेन-देन को लेकर आरोप लगाए। इस घटना ने पूरे पौड़ी गढ़वाल जिले में हलचल मचा दी।
हिमांशु चमोली और अन्य आरोपियों की जमानत
घटना के बाद पुलिस ने भाजपा नेता हिमांशु चमोली और अन्य पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- जिला जज और सत्र न्यायाधीश की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में हिमांशु चमोली और अन्य आरोपियों को जमानत दे दी।
- अदालत ने कहा कि वर्तमान सबूतों के आधार पर आरोपियों को हिरासत में रखना उचित नहीं है।
इस फैसले के बाद मामले को लेकर स्थानीय और राज्य स्तर पर चर्चा हुई। कई लोग अदालत के निर्णय और आत्महत्या के कारणों को लेकर संवेदनशीलता व्यक्त कर रहे हैं।
आत्महत्या के कारण और सोशल मीडिया वीडियो
जितेंद्र ने आत्महत्या से पहले फेसबुक पर वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो में उसने आरोप लगाया कि:
- भाजपा नेता हिमांशु चमोली ने उनके साथ पैसे और प्रॉपर्टी के लेन-देन में अनुचित भूमिका निभाई।
- वे मानसिक और भावनात्मक दबाव में थे, जिसके कारण उन्होंने यह खौफनाक कदम उठाया।
वीडियो पोस्ट ने मामले को सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया।
मामले की संवेदनशीलता और प्रतिक्रिया
इस घटना ने पौड़ी गढ़वाल में लोगों और प्रशासन दोनों के बीच सक्रिय प्रतिक्रिया उत्पन्न की।
- स्थानीय लोग युवकों के मानसिक स्वास्थ्य और दबाव के मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
- प्रशासन ने आत्महत्या की घटना की जांच के लिए सभी संबंधित पक्षों की पूछताछ शुरू कर दी है।
- सोशल मीडिया वीडियो और पोस्ट के आधार पर आरोपियों की भूमिका पर भी जाँच की जा रही है।
जितेंद्र सिंह की आत्महत्या एक दुखद घटना है, जो युवाओं की मानसिक स्थिति और दबाव को उजागर करती है।
- सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोप और बाद में जमानत दिए जाने ने मामले को और जटिल बना दिया है।
- प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली अब इस मामले में साक्ष्य और जांच पर आधारित निर्णय पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- इस घटना ने राज्य और स्थानीय स्तर पर सावधानी और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है।
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।