देहरादून: ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल

देहरादून: ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल, सर्विस केबल न देने का आरोप, विद्युत नियामक आयोग के आदेशों की अवहेलना

देहरादून: उत्तराखंड ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मोहनपुर उपखंड अधिकारी (एसडीओ) कार्यालय में तैनात कुछ अवर अभियंताओं पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) के आदेशों की खुली अवहेलना का गंभीर आरोप लगा है। मामला नए बिजली कनेक्शनों के लिए उपभोक्ताओं को सर्विस केबल (सर्विस लाइन) न उपलब्ध कराने से जुड़ा है, जिसने निगम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।

उपभोक्ताओं से वसूली राशि, लेकिन सर्विस केबल नहीं दी

जानकारी के अनुसार, कई उपभोक्ताओं ने नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया, जिनसे जमानत राशि और सर्विस केबल की लागत वसूल की गई। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, इन उपभोक्ताओं को वास्तव में सर्विस केबल प्रदान नहीं की गई। इसके बजाय, अवर अभियंताओं द्वारा ऑनलाइन स्थलीय रिपोर्ट तैयार कर एसडीओ से अनुमोदन करवाया जा रहा है। बाद में उपभोक्ताओं को यह कहकर टाल दिया जाता है कि स्टोर में केबल उपलब्ध नहीं है

यह प्रक्रिया न केवल विद्युत नियामक आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी का भी संकेत देती है। इस मामले ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है, जो ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।

आरटीआइ से खुलासा: स्टोर में केबल की कोई कमी नहीं

उत्तराखंड पहाड़ी महासभा की महासचिव गीता बिष्ट ने इस मुद्दे पर सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत जानकारी मांगी। उनके द्वारा प्राप्त जवाब में अवर अभियंताओं ने दावा किया कि स्टोर में सर्विस केबल की कमी के कारण उपभोक्ताओं को केबल नहीं दी जा रही है। हालांकि, स्टोर विभाग के कर्मचारियों ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है।

स्टोर कर्मचारियों का कहना है कि केबल की कोई कमी नहीं है और उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार अवर अभियंताओं को पर्याप्त मात्रा में केबल उपलब्ध कराई जा रही है। इस विरोधाभास ने ऊर्जा निगम के भीतर की अव्यवस्था और संभावित भ्रष्टाचार को उजागर किया है।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल

इस पूरे मामले ने ऊर्जा निगम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि निगम के कुछ कर्मचारी जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है। गीता बिष्ट ने कहा, “यह न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन है, बल्कि नियामक आयोग के आदेशों की अवमानना भी है। हम इसकी शिकायत निगम के उच्चाधिकारियों और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग से करेंगे।”

उत्तराखंड पहाड़ी महासभा ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए मांग की है कि दोषी अवर अभियंताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उपभोक्ताओं को तुरंत सर्विस केबल उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए पारदर्शी तंत्र स्थापित करने की मांग भी उठ रही है।

शिकायत और जांच की मांग

पहाड़ी महासभा ने इस मामले को ऊर्जा निगम के उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाने की योजना बनाई है। इसके अलावा, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भी औपचारिक शिकायत दर्ज की जाएगी, जिसमें पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी। स्थानीय निवासियों ने भी इस मुद्दे पर एकजुट होकर निगम के खिलाफ आवाज बुलंद करने का फैसला किया है।

यह मामला उत्तराखंड में बिजली आपूर्ति और उपभोक्ता सेवाओं की गुणवत्ता पर लंबे समय से चली आ रही बहस को और गहरा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऊर्जा निगम को अपनी प्रक्रियाओं को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है ताकि उपभोक्ताओं का भरोसा बना रहे।

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