देहरादून: उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से सस्ती बिजली खरीदने वाली औद्योगिक इकाइयों को अब 1.09 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त शुल्क देना होगा। यह फैसला उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) ने उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPCL) की याचिका पर सुनवाई के बाद लिया।
अतिरिक्त शुल्क की अवधि: 1 अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026
उद्देश्य: यूपीसीएल को लगभग 67 करोड़ रुपये की वसूली
शुल्क लगाने का कारण
यूपीसीएल ने आयोग को बताया कि कुछ औद्योगिक उपभोक्ताओं ने ओपन एक्सेस के माध्यम से कुछ घंटों में अन्य राज्यों से अपेक्षाकृत सस्ती बिजली खरीदी। इससे यूपीसीएल की पहले से खरीदी गई बिजली फंस गई और तय खर्च वसूला नहीं जा सका।
- अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक के बाहरी राज्यों से बिजली उपयोग और परिचालन खर्च का डेटा आयोग के समक्ष पेश किया गया।
- तीन प्रमुख हितधारकों ने अतिरिक्त शुल्क पर आपत्ति जताई, लेकिन आयोग ने नियमों और पूर्व निर्णयों के आधार पर अतिरिक्त शुल्क वसूलना उचित माना।
शुल्क विवरण
विवरण | मात्रा |
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अतिरिक्त शुल्क | 1.09 रुपये / यूनिट |
फंसी बिजली | 111.68 मिलियन यूनिट |
बाहरी राज्यों से बिजली उपभोग | 613.95 मिलियन यूनिट |
बिल्ड फिक्स्ड कास्ट | 66.78 करोड़ रुपये |
नियम और प्रक्रिया
- ओपन एक्सेस: बड़े उपभोक्ता राज्य के बाहर से बिजली खरीद सकते हैं।
- अनुमति UPCL-लोकल डिस्काम से लेनी होती है।
- ओपन एक्सेस में ट्रांसमिशन चार्ज और अन्य टैक्स शामिल होते हैं।
- छोटे या घरेलू उपभोक्ता सीधे अन्य राज्यों से सस्ती बिजली नहीं खरीद सकते।
- खरीदी जाने वाली बिजली का समय और मात्रा निर्धारित होती है।
- राज्य की नियामक समिति इसकी निगरानी करती है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने कहा कि यह अतिरिक्त शुल्क लागू रहेगा और औद्योगिक उपभोक्ताओं से नियम के अनुसार वसूली की जाएगी।