चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में भारतीय सर्वोदय पार्टी और उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उन दलों के लिए जारी किया गया है जिन्होंने पिछले छह वर्षों में चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और इलेक्शन एक्सपेंडेचर स्टेटमेंट चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं की।
यह कार्रवाई विधान सभा और लोकसभा चुनावों में वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए की जा रही है। आयोग ने इन दलों को 13 अक्टूबर तक अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया है।
कौन से वर्ष शामिल हैं और नियम क्या है
चुनाव आयोग के अनुसार, इन दोनों दलों ने वर्ष 2019 से अब तक हुए चुनावों में भाग लिया, लेकिन उन्होंने वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं कराई।
निर्वाचन कानून के अनुसार, विधान सभा चुनाव के 75 दिनों और लोकसभा चुनाव के 90 दिनों के भीतर यह रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। रिपोर्ट न देने पर आयोग कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है।
नोटिस प्राप्त दलों की जानकारी
चुनाव आयोग ने नोटिस निम्नलिखित दलों को जारी किया है:
- भारतीय सर्वोदय पार्टी – पता: 152/126, पटेल नगर (पश्चिम), देहरादून
- उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी – पता: 13, सुभाष रोड, सेंट जोसेफ स्कूल के पिछले गेट के सामने, देहरादून
इन दोनों दलों को राजनैतिक दलों के लिए आरक्षित प्रतीक और अन्य लाभ मिलने का अधिकार था, जैसे:
- आयकर छूट (आयकर अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत)
- मान्यता और प्रतीक आदेश (पैरा-6 और पैरा 10 बी के अनुसार)
- स्टार प्रचारकों का नामांकन
चुनाव आयोग ने पहले भी 17 दलों को सूची से हटाया है। इससे स्पष्ट है कि आयोग पारदर्शिता और नियम पालन के प्रति सख्त है।
चुनाव आयोग की भूमिका और नियम
भारत में सभी राजनैतिक दलों को भारत निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना अनिवार्य है। पंजीकरण के बाद आयोग यह सुनिश्चित करता है कि दल:
- चुनावी खर्च का रिकॉर्ड सही तरीके से रखें
- वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करें
- कानून और वित्तीय नियमों का पालन करें
यदि कोई दल नियमों का उल्लंघन करता है, तो आयोग नोटिस जारी करके जवाब मांगा जाता है और यदि आवश्यक हो तो दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।
नोटिस का महत्व
इस नोटिस का मुख्य उद्देश्य राजनैतिक दलों में वित्तीय पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है। चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी दल का चुनावी खर्च पारदर्शी और कानूनी रूप से सही हो।
यदि दल अपने नोटिस का समय पर जवाब नहीं देते हैं, तो:
- उनका पंजीकरण खतरे में पड़ सकता है
- चुनाव में भाग लेने के अधिकार पर असर पड़ सकता है
- भविष्य में सरकारी लाभ और प्रतीक आवंटन बंद हो सकता है
उत्तराखंड में भारतीय सर्वोदय पार्टी और उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी को चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी करना निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता को दिखाता है। यह स्पष्ट करता है कि चुनावी नियमों का पालन करना प्रत्येक दल के लिए अनिवार्य है।
आगामी 13 अक्टूबर तक दोनों दलों का जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि राजनैतिक दलों की जिम्मेदारी केवल चुनाव लड़ना नहीं है, बल्कि आर्थिक और कानूनी जिम्मेदारी निभाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।