नवरात्रि 2025 का अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। मां सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की प्रदाता और संपूर्ण शक्ति की देवी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से भक्तों को जीवन में सफलता, संतोष और मोक्ष प्राप्त होता है।
कौन हैं मां सिद्धिदात्री?
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है।
- वे सिंह या शेर पर सवार होती हैं।
- उनके चार भुजाएँ हैं, जिनमें वे शस्त्र और आशीर्वाद की मुद्रा धारण करती हैं।
- उनका तेज और आभा भक्तों के मन, वचन और कर्म में सिद्धियाँ प्रदान करती है।
मां सिद्धिदात्री को विशेष रूप से उन भक्तों की रक्षा के लिए पूजा जाता है जो अपने जीवन में संपूर्ण सफलता और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
मां सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब संसार में बुराई और असुर शक्तियाँ फैल गईं, तब देवी दुर्गा ने सिद्धिदात्री स्वरूप धारण किया।
मां सिद्धिदात्री ने अपने भक्तों को सभी सिद्धियाँ (साधना, ज्ञान, शक्ति और आयु) प्रदान कीं। उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड की अन्तिम शक्ति और सम्पूर्णता की देवी माना जाता है।
कथा यह भी बताती है कि जो भक्त सच्चे हृदय से उनकी पूजा करता है, उसे जीवन में सफलता, स्वास्थ्य, धन और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा का महत्व
- जीवन में संपूर्ण सिद्धियाँ और सफलता
- घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि
- मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास की वृद्धि
- रोग, कष्ट और बाधाओं से मुक्ति
शुभ मुहूर्त (Navratri 2025 Day 9 – 30 सितंबर)
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:36 AM – 05:23 AM
- प्रातः संध्या: 04:59 AM – 06:10 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:48 AM – 12:36 PM
- विजया मुहूर्त: 02:13 PM – 03:02 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 06:12 PM – 06:36 PM
- निशीथ काल: 11:48 PM – 12:35 AM (1 अक्टूबर)
दिन का रंग
सिंदूरी/गुलाबी (Pink / Vermilion) – मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए यह रंग अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह रंग संपूर्ण शक्ति, ऊर्जा और आशीर्वाद का प्रतीक है। इस रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्त को जीवन में सभी सिद्धियाँ और सफलता प्राप्त होती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विध
- सुबह स्नान करके गुलाबी या सिंदूरी वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को शुद्ध कर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना करें और उसमें नारियल व आम्रपल्लव रखें।
- देवी को पुष्प, विशेषकर गुलाब और कमल, अर्पित करें।
- दीपक और धूप जलाएं, भोग में फल और मिठाई अर्पित करें।
- मंत्र जप करें: “ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः” 108 बार।
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद
- सभी प्रकार की सिद्धियाँ और सफलता
- जीवन में संतोष, शांति और समृद्धि
- रोग, कष्ट और बाधाओं से मुक्ति
- मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास की वृद्धि
नवरात्रि 2025 का नौवां और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। उनकी पूजा से भक्तों को संपूर्ण सिद्धियाँ, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। श्रद्धा और भक्ति से उनकी आराधना करने वाले भक्तों का जीवन सुख, समृद्धि और मोक्ष से परिपूर्ण होता है।