नवरात्रि 2025 का पावन उत्सव 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस नौ दिवसीय पर्व के पांचवे दिन की पूजा मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप, मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां स्कंदमाता को संतान सुख और करुणा की देवी माना जाता है। उनके गोद में कार्तिकेय (स्कंद) विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। उनकी उपासना करने से भक्तों को शक्ति, मोक्ष और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कौन हैं मां स्कंदमाता?
मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत दिव्य है। वे सिंह पर विराजमान रहती हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं।
- दो हाथों में कमल पुष्प हैं।
- एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को धारण करती हैं।
- चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद की मुद्रा में रहता है।
मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है क्योंकि वे कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं। उनका स्वरूप शांति, मातृत्व और करुणा का प्रतीक है।
मां स्कंदमाता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा तो देवताओं की रक्षा के लिए भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। मां दुर्गा ने अपने बालक को देवताओं के सेनापति के रूप में स्थापित किया और दैत्यों का विनाश कराया।
चूंकि मां दुर्गा ने स्कंद को जन्म दिया और सदा अपनी गोद में रखकर उनका पालन-पोषण किया, इसलिए उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
कथा यह भी बताती है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां स्कंदमाता की पूजा करता है, उसे जीवन में संतान सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा का महत्व
- मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- भक्तों के जीवन से कष्ट और रोग दूर होते हैं।
- उनकी कृपा से घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
- माना जाता है कि मां स्कंदमाता की उपासना करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त (Navratri 2025 Day 5 – 26 सितंबर)
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:36 AM – 05:23 AM
- प्रातः संध्या: 04:59 AM – 06:10 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:48 AM – 12:36 PM
- विजया मुहूर्त: 02:13 PM – 03:02 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 06:13 PM – 06:37 PM
- निशीथ काल: 11:49 PM – 12:36 AM (27 सितंबर)
दिन का रंग
नवरात्रि के पांचवे दिन का रंग है नारंगी (Orange)।
यह रंग उत्साह, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है। नारंगी वस्त्र पहनकर पूजा करने से मां स्कंदमाता विशेष प्रसन्न होती हैं और भक्त को साहस व सफलता का आशीर्वाद देती हैं।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ नारंगी वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके मां स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना करें और उसमें आम्रपल्लव और नारियल रखें।
- मां को कमल और गेंदा पुष्प अर्पित करें।
- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भोग में केले और मिठाई अर्पित करें।
- मां का मुख्य मंत्र “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः” 108 बार जपें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। वे भक्तों को संतान सुख, सुख-समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं। उनकी पूजा से जीवन में शांति और सकारात्मकता का वास होता है।
नवरात्रि 2025 में भक्तों को चाहिए कि वे श्रद्धा और भक्ति से मां स्कंदमाता की आराधना करें और उनके दिव्य आशीर्वाद का लाभ प्राप्त करें।