देहरादून। नमामि गंगे कार्यक्रम अब गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने की दिशा में और सशक्त कदम उठा रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से अब प्रत्येक जिले में सीवेज प्रबंधन से संबंधित एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही, जलाशयों, नदियों, झीलों और तालाबों को भी प्रदूषण से बचाने के लिए योजनाओं पर काम किया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए राज्य के सभी 13 जिलों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। ये अधिकारी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करेंगे, मौजूदा योजनाओं की निगरानी करेंगे और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान कर उन्हें भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
जिलावार नोडल अधिकारी नियुक्त
- चमोली – मोहम्मद वसीम अहमद
- टिहरी – संदीप कश्यप
- पिथौरागढ़ – आर. एस. धर्मशत्तू
- नैनीताल – वी. के. जैन
- पौड़ी गढ़वाल – मोहम्मद मिशम
- हरिद्वार – आर. के. जैन
- बागेश्वर – अशोक कटारिया
- देहरादून – मिशा सिन्हा
- उधम सिंह नगर – मृदुला सिंह
- उत्तरकाशी – विनोद रमोला
- रुद्रप्रयाग – सुशील कुमार सैनी
- अल्मोड़ा – विशाल कुमार
- चंपावत – प्रियदर्शन रावत
नमामि गंगे कार्यक्रम की नई पहल
नमामि गंगे के निदेशक विशाल मिश्रा ने बताया कि नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से जमीनी स्तर पर निगरानी आसान होगी। इससे न केवल वर्तमान परियोजनाओं को सही दिशा मिलेगी बल्कि भविष्य के लिए नए प्रोजेक्ट्स भी समय पर तैयार किए जा सकेंगे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सिर्फ गंगा नदी को ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और पुनर्जीवित करना है।
2027 के अर्धकुंभ के लिए तैयारी
अर्धकुंभ 2027 को ध्यान में रखते हुए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा और यमुना की सहायक नदियों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
- इसके लिए जिलों से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) और नालों की टेपिंग से जुड़े प्रस्ताव मांगे गए हैं।
- गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक एक दर्जन से अधिक शहरों को चिन्हित किया गया है।
- यहां नए STP निर्माण और प्रदूषण रोकने की योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
यह पहल नमामि गंगे कार्यक्रम के लक्ष्यों को और मज़बूती प्रदान करेगी। जिलावार नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ झीलों और तालाबों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इससे आने वाले वर्षों में स्वच्छ गंगा का सपना साकार होने की उम्मीद और प्रबल हो गई है।