देहरादून। थानों और चौकियों के चक्कर काटने के बावजूद मुकदमा दर्ज न होने की समस्या से जूझ रहे असहाय, वंचित, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए देहरादून कलेक्ट्रेट में शुरू हुई स्पेशल हेल्प डेस्क किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रही है। जनता दरबार में बार-बार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस हेल्प डेस्क की स्थापना का निर्णय लिया था। अगस्त 2025 में शुरू हुई इस पहल ने महज दो महीनों में 70 शिकायतों पर ऑनलाइन प्राथमिकी (ई-एफआईआर) दर्ज कराकर पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्पेशल हेल्प डेस्क: देहरादून बना प्रदेश का पहला जिला
जिला प्रशासन का दावा है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा-173 के तहत वंचित वर्ग, असहाय, बुजुर्गों और महिलाओं के अधिकारों व हितों के संरक्षण के लिए स्पेशल हेल्प डेस्क स्थापित करने वाला देहरादून उत्तराखंड का पहला जिला है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य अपराधों की जानकारी दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है। इसके तहत निम्नलिखित सुविधाएं शामिल हैं:
- ई-एफआईआर: ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने की सुविधा।
- संवेदनशील पीड़ितों की सुरक्षा: विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों के लिए संवेदनशीलता।
- वीडियोग्राफी: पारदर्शिता के लिए प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्ड।
- निशुल्क सूचना की प्रति: शिकायतकर्ता को मुफ्त में प्राथमिकी की कॉपी।
इसके तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, जिससे थानों का एकलाधिकार खत्म हुआ है और जनता को इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
हेल्प डेस्क की उपलब्धियां: 70 ई-एफआईआर दर्ज
अगस्त 2025 से शुरू हुई इस स्पेशल हेल्प डेस्क ने अब तक 77 शिकायतें प्राप्त की हैं, जिनमें से 70 मामलों में ई-एफआईआर विभिन्न थानों में दर्ज की जा चुकी हैं। पहला मुकदमा 4 अगस्त 2025 को विलासपुर निवासी लव कुमार तमांग की शिकायत पर कैंट कोतवाली में दर्ज हुआ। इसके बाद अगस्त और सितंबर में दर्ज मुकदमों का विवरण इस प्रकार है:
- 4 अगस्त: 1 मुकदमा
- 5 अगस्त: 1 मुकदमा
- 11 अगस्त: 3 मुकदमे
- 12 और 14 अगस्त: 2-2 मुकदमे
- 18 अगस्त: 1 मुकदमा
- 19 अगस्त: 2 मुकदमे
- 20 अगस्त: 1 मुकदमा
- 22 और 23 अगस्त: 2-2 मुकदमे
- 25 अगस्त: 4 मुकदमे
- 26 अगस्त: 5 मुकदमे
- 27 अगस्त: 4 मुकदमे
- 29 और 30 अगस्त: 2-2 मुकदमे
- 1 सितंबर: 2 मुकदमे
- 3, 4, और 8 सितंबर: 1-1 मुकदमा
- 9 सितंबर: 2 मुकदमे
- 10, 12, और 13 सितंबर: 1-1 मुकदमा
- 16 सितंबर: 4 मुकदमे
- 18 सितंबर: 2 मुकदमे
- 19 सितंबर: 3 मुकदमे
- 20 सितंबर: 1 मुकदमा
- 22 सितंबर: 5 मुकदमे
- 23 सितंबर: 3 मुकदमे
- 24 सितंबर: 1 मुकदमा
- 25 सितंबर: 3 मुकदमे
- 26 सितंबर: 1 मुकदमा
- 27 सितंबर: 2 मुकदमे
- 30 सितंबर: 1 मुकदमा
- 3 और 6 अक्टूबर: 1-1 मुकदमा
जनता दरबार: रोजाना 50 से अधिक शिकायतें
कलेक्ट्रेट में हर दिन औसतन 50 से अधिक शिकायतें जिलाधिकारी के पास पहुंच रही हैं। जनता दरबार में यह आंकड़ा 125 तक पहुंच जाता है। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें बुजुर्गों से संबंधित हैं, खासकर भरण-पोषण के मामले। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मुकदमा दर्ज न होने जैसी समस्याएं भी प्रमुख हैं। भरण-पोषण के मामलों में फास्ट-ट्रैक सुनवाई की जा रही है, ताकि बुजुर्गों को त्वरित राहत मिल सके।
जिलाधिकारी का दृष्टिकोण: त्वरित और समावेशी न्याय
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दृष्टिकोण को साकार करते हुए जिला प्रशासन हर व्यक्ति को त्वरित और समावेशी न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। स्पेशल हेल्प डेस्क इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जिसने थानों में होने वाली अनावश्यक देरी को खत्म किया है।” इस पहल से न केवल पीड़ितों को राहत मिल रही है, बल्कि प्रशासन के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ रहा है।
जनता के लिए एक नई उम्मीद
देहरादून कलेक्ट्रेट की स्पेशल हेल्प डेस्क ने असहाय, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए न्याय की राह को आसान बनाया है। यह पहल न केवल तकनीकी नवाचार का उदाहरण है, बल्कि सामाजिक समावेश और संवेदनशीलता का प्रतीक भी है। क्या आपके पास ऐसी कोई अनुभव या सुझाव है जो इस प्रक्रिया को और बेहतर बना सके? कमेंट में साझा करें।