साइबर ठगों ने बैंक मैनेजर पर भी नहीं किया रहम

देहरादून: साइबर ठगों ने बैंक मैनेजर पर भी नहीं किया रहम: 13 लाख लूटे, पुलिस पर सुस्ती का आरोप

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में साइबर ठगी का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने निवेश के झांसे में एक बैंक डिप्टी मैनेजर सूर्यप्रकाश को फंसाकर 13 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित ने साइबर थाने और पुलिस विभाग में तुरंत शिकायत दर्ज की थी, लेकिन 10 महीने बाद जाकर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इस देरी पर पीड़ित ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

निवेश का झांसा: RBI और सेबी का फर्जी दावा

रायपुर निवासी सूर्यप्रकाश ने अपनी तहरीर में बताया कि दिसंबर 2024 में एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और निवेश का आकर्षक ऑफर दिया। ठगों ने खुद को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सेबी (SEBI) से रजिस्टर्ड बताते हुए विश्वास जीता। उन्होंने दावा किया कि सूर्यप्रकाश की रकम को विभिन्न प्लेटफॉर्म्स में निवेश कर मोटा मुनाफा दिलाया जाएगा, जिसमें से ठग अपना हिस्सा रखेंगे।

विश्वास में आकर सूर्यप्रकाश ने दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच ठगों के कहे अनुसार 13 लाख रुपये निवेश कर दिए। लेकिन जब उन्होंने मूल राशि या मुनाफा निकालने की कोशिश की, तो ठग और अधिक पैसे जमा करने का दबाव बनाने लगे। ठगी का अहसास होने पर सूर्यप्रकाश ने तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन, एसएसपी कार्यालय, और रायपुर थाने में शिकायत दर्ज की, लेकिन कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस की सुस्ती पर सवाल: खाते फ्रीज करने में देरी

सूर्यप्रकाश ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर ठगों के खातों को ट्रेस कर फ्रीज करवाने की कोशिश की थी। यदि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की होती, तो उनकी कुछ रकम बच सकती थी। लेकिन पुलिस की देरी के कारण खाते लंबे समय तक फ्रीज नहीं रहे, और ठगों ने रकम निकाल ली। “पुलिस ने समय पर एक्शन लिया होता, तो मेरे पैसे का कुछ हिस्सा वापस मिल सकता था,” सूर्यप्रकाश ने नाराजगी जताते हुए कहा।

10 महीने बाद पुलिस ने आखिरकार मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन पीड़ित का कहना है कि अब तक ठगों का कोई सुराग नहीं मिला है। इस देरी ने न केवल पीड़ित का भरोसा तोड़ा, बल्कि साइबर क्राइम से निपटने की पुलिस की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं।

साइबर ठगी का बढ़ता खतरा

यह मामला देहरादून में साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को उजागर करता है। बैंक मैनेजर जैसे पढ़े-लिखे और जागरूक व्यक्ति का भी ठगी का शिकार होना इस बात का सबूत है कि साइबर ठग कितनी चालाकी से लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। RBI और सेबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का नाम लेकर ठग आसानी से भरोसा जीत लेते हैं।

पुलिस और साइबर क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी ठगी से बचने के लिए लोगों को अनजान कॉल्स और ऑफर्स पर भरोसा करने से पहले सतर्कता बरतनी चाहिए। निवेश से पहले कंपनी की वैधता, रजिस्ट्रेशन, और पृष्ठभूमि की जांच जरूरी है।

साइबर क्राइम पर सख्ती की जरूरत

सूर्यप्रकाश की ठगी का यह मामला न केवल व्यक्तिगत नुकसान की कहानी है, बल्कि साइबर क्राइम से निपटने में पुलिस की सुस्ती को भी उजागर करता है। देहरादून जैसे शहर में, जहां डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन निवेश बढ़ रहे हैं, साइबर क्राइम यूनिट को और सक्रिय और तेज करना होगा। पीड़ित की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई और जागरूकता अभियान ही ऐसी ठगी को रोक सकते हैं। सूर्यप्रकाश का यह अनुभव हर नागरिक के लिए एक चेतावनी है—निवेश से पहले सतर्क रहें, और अनजान ऑफर्स से बचें।

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