ऋषिकेश: एम्स (AIIMS) स्वीपिंग मशीन घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। सीबीआई (CBI) इस मामले में जल्द ही एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करेगी। जांच एजेंसी को तत्कालीन बड़े अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही के ठोस साक्ष्य मिले हैं।
सीबीआई ने इस घोटाले में जनवरी 2024 में पांच अधिकारियों के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. बलराम ओमर, एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. बृजेंद्र सिंह, सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी शामिल थे। इन पर धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए।
जांच में सामने आया कि वर्ष 2022 में एम्स में स्वीपिंग मशीन और मेडिकल स्टोर आवंटन में भारी अनियमितताएं हुई थीं। मशीनों की खरीद प्रक्रिया में नामी कंपनी को गलत आधार बताकर बाहर कर दिया गया, जबकि जिस कंपनी से मशीन खरीदी गई उसका निर्माण और बिक्री से कोई संबंध ही नहीं था।
शर्त थी कि मशीन तीन महीने से पुरानी नहीं होनी चाहिए, लेकिन खरीदी गई मशीन सिर्फ 124 घंटे ही चल पाई। इस पूरे प्रकरण में लगभग ₹4.41 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, अब जांच में तत्कालीन आला अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है। एजेंसी इनके खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि जल्द ही कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की जाएगी।