पटना वॉटरफॉल का मुख्य दृश्य, ऋषिकेश

पटना वॉटरफॉल, ऋषिकेश: प्रकृति, रोमांच और स्वाद का संगम

ऋषिकेश को लोग योग, ध्यान और गंगा आरती के लिए जानते हैं। लेकिन अगर आप गंगा किनारे की भीड़ से हटकर, शांति और रोमांच की तलाश में हैं, तो आपको ज़रूर जाना चाहिए पटना वॉटरफॉल। मेन रोड से शुरू होता एक छोटा-सा ट्रेक, घने जंगल की पगडंडी, पंछियों की आवाज़ें और अचानक सामने आ जाता है यह खूबसूरत झरना। यहाँ गिरते पानी की ठंडी फुहारें और चारों तरफ़ फैली हरियाली आपको ऐसा अहसास कराती हैं जैसे आप किसी फ़िल्मी दुनिया में पहुँच गए हों।

परिचय: एक प्राकृतिक सुंदरता

पटना वॉटरफॉल सिर्फ झरना नहीं है, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। शहर की हलचल और शोर-शराबे से दूर, जंगलों और पहाड़ों के बीच यह जगह आपको प्रकृति और रोमांच का perfect मिश्रण देता है।

जब पहली बार मैंने यहाँ कदम रखा, तो चारों तरफ़ हरियाली, पत्तों से छनकर आती धूप और पक्षियों की चहचहाहट ने ऐसा अहसास दिलाया कि मैं किसी और ही दुनिया में आ गया हूँ। झरने की तरफ़ बढ़ते समय पानी की कल-कल करती आवाज़ कानों में पड़ती है और मन में अलग ही उत्साह भर देती है।

हरी-भरी वादियों के बीच बसा पटना वॉटरफॉल, ऋषिकेश का hidden gem

पटना वॉटरफॉल से जुड़ी रोचक बातें 🤔💧

झरने का नाम पास के पटना गाँव से पड़ा है। मज़ेदार बात यह है कि गाँव के लोगों को खेती और पीने के लिए इसकी एक बूँद भी नसीब नहीं होती! इसका पूरा पानी जमीन के निचे निचे बहता है, अगर आप पटना गाँव जाएं तो आपको इसके पानी का श्रोत कहीं भी दिखाई नहीं देगा! पानी केवल उस जगह से बाहर आता है जहाँ झरना बनता है। लोकल लोग हँसते हुए कहते हैं – “गाँव में पीने का पानी तक नहीं और यहाँ देखो!”

पानी में हल्का-सा खारापन है, जो इसे बाकी झरनों से अलग बनाता है। माना जाता है कि यह स्वाद लाइमस्टोन चट्टानों की वजह से आता है। मैंने खुद जब पहली बार पानी चखा, तो थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन फिर समझ आया – यही तो इसकी खासियत है।

1 km ट्रेक, जंगल की हरियाली और रोमांच

ट्रेकिंग: जंगल की पगडंडी और रोमांच 🚶‍♂️🌳

पटना वॉटरफॉल तक का ट्रेक लगभग 1 किलोमीटर का है। छोटा लगता है, लेकिन हर कदम पर मज़ा, हल्की सिहरन और रोमांच का एहसास होता है।

ट्रेक की शुरुआत सीधे मेन रोड से ऊपर की तरफ़ चढ़ाई से होती है। पहले कदम आसान लगते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर में रास्ता सँकरा हो जाता है – एक तरफ घना जंगल और दूसरी तरफ खाई जैसी ढलान। हर कदम पर दिल की तेज़ धड़कन महसूस होती है, यही एड्रेनालाईन (Adrenaline) है जो इंसान में रोमांच और उत्साह पैदा करता है।

रास्ते में उछलते-कूदते बंदर, चारों तरफ़ से आती पंछियों की चहचहाहट, और बीच-बीच में मिलने वाले गाँव वाले, जो सिर पर भारी सामान उठाकर चलते हैं, ट्रेक को और जीवंत बना देते हैं। कभी-कभी लगता है – “ये लोग तो सिर पर इतना सामान उठाकर चल रहे हैं, और हम अपने ही शरीर का वजन संभाल नहीं पा रहे!” 😂! हर कोई गाँव वालों से एक ही सवाल पूछता है! “अभी और कितना चलना है ?”

पहाड़ बहुत ऊँचे है! इसलिए ढंग से फोटो नहीं आती!

झरने का नज़ारा

जैसे ही आप ट्रेक खत्म कर झरने के पास पहुँचते हैं, सामने का दृश्य आपको हॉलीवुड की एक फिल्म की याद दिला देता है।

अगर आपने एनाकोंडा मूवी (Anaconda Movie) देखी है, तो याद होगा फिल्म के अंत में जहाँ वो डॉक्टर अमर बनने वाला फूल लेने जाते हैं, जिस सीन मे पानी ऊपर से नीचे बूंदों की तरह गिरता है और निचे खायी में बहुत बड़े बड़े एनाकोंडा होते हैं!।

बस ये लगा लो उस मूवी के सीन में और यहाँ जो आप सामने देख रहे हो दोनों में फरक कर पाना बहुत मुश्किल है, ऐसे लगता है जैसे वो शूटिंग यहीं इसी जगह हुई होगी! – बस फर्क इतना है कि यहाँ कोई एनाकोंडा (Anaconda) नहीं है! 😄

झरने के सामने बैठकर सतेन्दर काका की ब्लैक टी का आनंद

सतेन्दर काका की चाय – पटना वॉटरफॉल का असली स्वाद 🍵✨

झरने के ठीक सामने एक छोटी-सी लकड़ी की टपरी है, जहाँ सतेन्दर काका अपनी स्पेशल काली चाय परोसते हैं। इसमें देसी पत्ते और जड़ी-बूटियाँ डाली जाती हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

सबसे बड़ा मज़ा तब आता है जब आप चाय हाथ में लेकर झरने के सामने बैठते हैं। हवा में उड़ती बूँदें चेहरे को छूती हैं और गरमा-गरम चाय की चुस्की लेने का अनुभव जैसे पूरा हो जाता है।

👉 मेरे लिए पटना वॉटरफॉल का सबसे यादगार पल यही था – सामने गूँजता झरना, हवा में उड़ती बूंदें और हाथ में सतेन्दर काका की जादुई काली चाय।

मैगी का तड़का 🍜

चाय के साथ गरमा-गरम मैगी मिल जाए तो ट्रेक की थकान तुरंत गायब। झरने के पास बैठकर मैगी खाते समय हल्की ठंडी बूँदें चेहरे पर पड़ती हैं – थकान खत्म और मज़ा दो गुना!!

कब और कैसे जाएँ 🗓️🛣️

ये झरना पुरे साल खुला होता है। मानसून में झरना ज़बरदस्त होता है और हरियाली चारों तरफ फैली रहती है, लेकिन रास्ता फिसलन भरा हो सकता है।

जून के महीने में जब चारों तरफ आग बरस रही होती है, सूर्य देवता अपने फुल प्रकोप में होते हैं! उस समय यहाँ पानी थोड़ा काम हो जाता है! लेकिन मजे की बात यह है की उस समय भी यहाँ का तापमान निचे से कमसे कम 10 डिग्री तक काम होता है!

कैसे जाएँ:

  • ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर वाली रोड की ओर आएँ! पटना गाँव / फूलचट्टी बहुत मशहूर है!
  • ट्रेक लगभग 1 किलोमीटर का है और 30–45 मिनट में पूरा किया जा सकता है। (मेरे पूछने पर एक गाँव वाले ने बताया की उनको 05-10 मिनट लगते हैं निचे से ऊपर जाने में!)
  • हल्के जूते, पानी और हल्का स्नैक्स साथ रखें।

टिप: सुबह जल्दी निकलें और शाम ढलने से पहले वापस लौट आएँ।

सुरक्षा और जंगल का अनुभव 🐘🐆

यह इलाका राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों से जुड़ा हुआ है। बंदर, हाथी, भालू और तेंदुए यहाँ आम हैं। अंधेरा होने से पहले वापस लौटना ज़रूरी है क्योंकि जंगल का माहौल रात में रहस्यमयी और थोड़ा खतरनाक हो जाता है।

निष्कर्ष: पटना वॉटरफॉल क्यों है खास?

पटना वॉटरफॉल सिर्फ़ एक झरना नहीं, बल्कि एक अनुभव है – जहाँ जंगल की पगडंडियाँ आपको रोमांच देती हैं, पहाड़ों से गिरती पानी की बूँदें आपको ताज़गी देती हैं, और सतेन्दर काका की चाय आपके दिल में हमेशा के लिए याद बन जाती है।

यहाँ का हर पल आपको एहसास दिलाता है कि असली ख़ूबसूरती भीड़-भाड़ से दूर, प्रकृति की गोद में छिपी होती है। चाहे आप एडवेंचर के शौकीन हों या शांति की तलाश में, पटना वॉटरफॉल आपके सफ़र में एक ऐसा पड़ाव है जो आपको बार-बार यहाँ लौटने पर मजबूर करेगा।

👉 तो अगली बार जब आप ऋषिकेश आएँ, तो गंगा आरती और योग के साथ इस hidden gem को अपनी bucket list में ज़रूर शामिल करें।

तो अब आपकी बारी है – जूते पहनिए, हल्का स्नैक्स साथ रखिए और खुद को तैयार कीजिए पटना वॉटरफॉल ऋषिकेश (Patna Waterfall Rishikesh) के अद्भुत अनुभव के लिए। ट्रेकिंग, झरना, काका की चाय और जंगल का रोमांच – सब कुछ एक यादगार पल बनने के लिए तैयार है!

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