चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में बिरही निजमुला मोटर मार्ग पर पहाड़ी से गिरे बोल्डर की चपेट में आने से एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन (टाटा सुमो, रजिस्ट्रेशन UK 07 TA 5265) में केवल चालक सवार था, जो देहरादून का निवासी है। चालक को हल्की चोटें आई हैं, और राहगीरों ने उसे रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाया। यह घटना पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और बोल्डर गिरने की बढ़ती समस्याओं को उजागर करती है, जहां बरसात के बाद भी खतरा बना रहता है।
घटना का विवरण: बोल्डर की चपेट में वाहन
चमोली पुलिस के अनुसार, वाहन सुबह शिक्षकों को विद्यालय छोड़ने गया था। शिक्षकों को छोड़कर चालक चमोली की ओर लौट रहा था, तभी काली चट्टान के पास पहाड़ी से बोल्डर गिरने से वाहन सड़क पर पलट गया। गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
राहगीरों ने तुरंत सड़क पर पलटे वाहन से घायल चालक को निकाला और अपने निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया। चालक को हल्की चोटें आई हैं, और उसका उपचार चल रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मार्ग की स्थिति: लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी
यह मार्ग लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन है। कुछ दिन पहले काली चट्टान में भूस्खलन के कारण मार्ग बंद हो गया था, जिसे सुचारू करने में विभाग को एक सप्ताह से अधिक समय लगा। घटना के बाद फिर से मार्ग पर यातायात प्रभावित हुआ है।
पुलिस और स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात के समय बड़े भूस्खलन से चट्टानें कमजोर हो जाती हैं, और बरसात बंद होने के बाद भी बोल्डर गिरने का सिलसिला जारी रहता है। लोगों को जान हथेली पर रखकर आवागमन करना पड़ता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ता खतरा
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में खड़ी पहाड़ियां भूस्खलन और चट्टान दरकने की घटनाओं का केंद्र हैं। बरसात के बाद चट्टानें कमजोर होकर कभी भी गिर सकती हैं, जिससे वाहनों और राहगीरों की जान को खतरा रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण इस समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं।
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि PWD और आपदा प्रबंधन विभाग मार्गों पर नियमित निगरानी करें, चट्टानों की सफाई करें, और खतरे वाले स्थानों पर बैरियर लगाएं। ऐसी घटनाएं बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थ मार्गों पर भी आम हैं, जहां पर्यटक और स्थानीय लोग जोखिम उठाते हैं।
प्रशासन की अपील और सुझाव
चमोली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि खराब मौसम या भूस्खलन वाले मार्गों पर यात्रा करने से पहले मौसम और सड़क की जानकारी लें। PWD को निर्देश दिए गए हैं कि खतरे वाले स्थानों पर तत्काल मरम्मत और सुरक्षा उपाय करें।
आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत SDRF या पुलिस को दें। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में रॉकफॉल प्रोटेक्शन नेट और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएं ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की जरूरत को रेखांकित करती है। घायल चालक के जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ, प्रशासन से उम्मीद है कि ऐसे मार्गों को सुरक्षित बनाया जाएगा।