हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के दूधियाबंद क्षेत्र में गंगा नदी के उफान ने एक बार फिर श्रद्धालुओं की जान पर बनाई। पवित्र गंगा स्नान के लिए पहुंचे सात युवा श्रद्धालु नदी के बीच बने एक छोटे से टापू पर फंस गए, जब अचानक जलधारा का बहाव तेज हो गया। सांसें थम सी गईं, लेकिन जल पुलिस के कुशल गोताखोरों ने समय रहते अदम्य साहस का परिचय देते हुए सभी को सुरक्षित बाहर निकाला। यह घटना गंगा के किनारे स्नान करने वालों के लिए एक चेतावनी का काम करती है, जहां मौसम और बांध से पानी छोड़ने की वजह से जलस्तर अचानक बढ़ जाता है।
अचानक उफान ने बढ़ाई दहशत, श्रद्धालु टापू पर कैद
दूधियाबंद घाट के पास, जहां गंगा का जलस्तर सामान्य रूप से कम होने पर श्रद्धालु आसानी से नदी पार कर टापू तक पहुंच जाते हैं, वहां रविवार दोपहर को हालात बिगड़ गए। जालंधर (पंजाब) निवासी 18 वर्षीय राहुल और उनके छह साथी—पंजाब के अमित कुमार, राहुल कुमार, अभिषेक, लकी, अरुण, तथा शुभम चटर्जी और सौमिक मुखर्जी—गंगा स्नान के लिए नदी में उतरे। शुरू में सब कुछ शांत था, लेकिन टिहरी बांध से पानी छोड़े जाने के कारण कुछ ही मिनटों में जलधारा उफान पर आ गई।
“हम लोग स्नान कर रहे थे कि अचानक पानी का रंग बदल गया और बहाव इतना तेज हो गया कि वापस लौटना मुश्किल हो गया,” राहुल ने सुरक्षित पहुंचने के बाद बताया। टापू पर फंसकर वे चीखें मारने लगे, लेकिन तेज बहाव के कारण मदद की गुहार आसानी से नहीं पहुंच पा रही थी। इसी बीच, घाट पर तैनात जल पुलिस की टीम ने दूर से ही हलचल भांप ली।
जल पुलिस के गोताखोर बने ‘जीवन रक्षक’, अलग-अलग दिशाओं में रेस्क्यू
जल पुलिस स्टेशन हरिद्वार की टीम ने तुरंत एक्शन लिया। गोताखोर कांस्टेबल जानू पाल, अमित पुरोहित, विक्रांत और सनी कुमार ने अपनी जान जोखिम में डालकर रस्सियों, लाइफ जैकेट्स और राफ्ट की मदद से ऑपरेशन शुरू किया। प्रत्येक गोताखोर ने अलग-अलग दिशाओं से फंसे श्रद्धालुओं को निशाना बनाया—कुछ को बहाव के बीच से खींचा, तो कुछ को टापू के किनारे से सुरक्षित खींच लिया।
- जानू पाल ने सबसे पहले राहुल और अमित कुमार को तेज धारा से बचाया, जहां पानी की गहराई 10 फीट से अधिक हो चुकी थी।
- अमित पुरोहित ने अभिषेक और लकी को राफ्ट पर चढ़ाया, जो बहाव में बहने को थे।
- विक्रांत ने राहुल कुमार और अरुण को रस्सी बांधकर घाट तक खींचा।
- सनी कुमार ने शुभम चटर्जी और सौमिक मुखर्जी को अंतिम चरण में सुरक्षित पहुंचाया।
करीब 45 मिनट के इस साहसिक अभियान में गोताखोरों ने कोई चूक नहीं बरती। सभी श्रद्धालुओं को घाट पर पहुंचाने के बाद उन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई और परिजनों को सूचना कर दी गई। बचाए गए युवाओं ने गोताखोरों के पैर छुए और कहा, “आप देवदूत के समान हो। गंगा मां की कृपा और आपकी बहादुरी ने हमारी जान बचाई।”
गंगा स्नान के खतरे: क्यों बढ़ रहा है ऐसा हादसा?
यह घटना ऋषिकेश-हरिद्वार क्षेत्र में गंगा स्नान के दौरान होने वाले हादसों की याद दिलाती है। हाल ही में फरवरी 2025 में जानकी झूला घाट पर हरियाणा के 100 से अधिक श्रद्धालु इसी तरह टापू पर फंस गए थे, जहां जल पुलिस ने रात भर रेस्क्यू चलाया। विशेषज्ञों के अनुसार, टिहरी बांध से अचानक पानी छोड़ना और मानसून के बाद के मौसमी बदलाव मुख्य कारण हैं।
जल पुलिस के एसपी ने बताया, “हमारी टीम हमेशा अलर्ट मोड पर रहती है। श्रद्धालुओं से अपील है कि बिना लाइफ जैकेट के नदी में न उतरें और जलस्तर की जानकारी लें।” एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने भी घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाने और रेस्क्यू ड्रिल बढ़ाने का फैसला लिया है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ये टिप्स अपनाएं
- गंगा स्नान से पहले मौसम विभाग की अलर्ट चेक करें।
- हमेशा लाइफ जैकेट पहनें और ग्रुप में स्नान करें।
- टापू या अलग-थलग जगहों पर न जाएं।
- आपात स्थिति में 112 पर कॉल करें।
यह रेस्क्यू न केवल जल पुलिस की दक्षता को दर्शाता है, बल्कि देवभूमि की सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती को भी। गंगा मां की गोद में स्नान का आनंद लें, लेकिन सतर्क रहें—क्योंकि जान बचाना ही सबसे बड़ा धर्म है।