द्रौपदी का डांडा पर तीन साल बाद NIM का सफल आरोहण

द्रौपदी का डांडा पर तीन साल बाद NIM का सफल आरोहण, हिमस्खलन में शहीद पर्वतारोहियों को दी श्रद्धांजलि

उत्तरकाशी: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के पर्वतारोहियों ने एक बार फिर साहस और समर्पण की मिसाल पेश की है। तीन साल पहले द्रौपदी का डांडा-द्वितीय (Draupadi Ka Danda-II) चोटी पर हुए दर्दनाक हिमस्खलन हादसे में अपने साथियों को खोने वाले पर्वतारोहियों ने इस वर्ष उसी चोटी को सफलतापूर्वक फतह कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

चार अक्टूबर 2022 को द्रौपदी का डांडा-2 से वापसी के दौरान NIM के एडवांस कोर्स में शामिल 29 प्रशिक्षु व प्रशिक्षक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे, जिसमें सभी की दुखद मौत हो गई थी। इस बार उसी दिन, उसी मार्ग से पर्वतारोहियों ने सफल आरोहण कर यह संदेश दिया कि हौसला जिंदा है, और अपने साथियों की याद अमर है।

5670 मीटर ऊंचाई पर श्रद्धांजलि मिशन

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की ओर से हर साल बेसिक कोर्स के बाद एडवांस कोर्स का आयोजन होता है, जिसमें समुद्रतल से लगभग 5670 मीटर ऊंची द्रौपदी का डांडा-2 चोटी का आरोहण कराया जाता है।
इस वर्ष 11 सितंबर को शुरू हुए एडवांस कोर्स में पर्वतारोहण की बारीकियों और उच्च हिमालयी परिस्थितियों में जीवन यापन के कौशल सिखाए जा रहे हैं।

चार अक्टूबर को इस अभियान का नेतृत्व कर्नल हेमचंद्र सिंह (जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स) और NIM के कैप्टन संतोष कुमार, विनोद गुसांई, सौरव सिंह, आजाद राणा, अंशुल गल्ता तथा छह प्रशिक्षुओं ने किया। सभी ने चोटी पर पहुंचकर शहीद पर्वतारोहियों के नाम से वहां श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सविता और नौमी को याद कर भावुक हुए पर्वतारोही

साल 2022 के हादसे में भारत ने दो प्रतिभाशाली पर्वतारोहियों — एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नौमी रावत — को खो दिया था।
सविता ने मई 2022 में मात्र 15 दिनों में माउंट एवरेस्ट और मकालू पर फतह हासिल कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। उनके इस असाधारण योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। वहीं नौमी रावत, उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक की उभरती पर्वतारोही थीं, जो NIM से बतौर प्रशिक्षक जुड़ी थीं।

11 अनारोहित चोटियों पर भी दी गई श्रद्धांजलि

पिछले वर्ष NIM ने हादसे में मारे गए उत्तराखंड के 11 पर्वतारोहियों की याद में गढ़वाल हिमालय क्षेत्र की 11 अनारोहित चोटियों का सफल आरोहण किया था।
इन चोटियों में सात की ऊंचाई छह हजार मीटर से अधिक थी और चार की छह हजार मीटर के करीब। संस्थान ने इन चोटियों को दिवंगत पर्वतारोहियों — सविता कंसवाल, नौमी रावत, अजय बिष्ट, सतीश रावत, कपिल पंवार, विनय पंवार, संतोष कुकरेती, राहुल पंवार, शुंभम सारंगी, नरेंद्र सिंह और सिद्धार्थ खंडूरी — के नाम पर समर्पित करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा था।

जिंदादिल पर्वतारोहियों की मिसाल

तीन साल पहले जहां दर्द और मातम था, वहीं आज वही पर्वतारोहण स्थल साहस और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।
NIM की टीम ने यह साबित कर दिया कि पर्वतारोहण केवल शारीरिक ताकत नहीं, बल्कि आत्मा और जज़्बे की परीक्षा भी है।
द्रौपदी का डांडा की बर्फीली चोटियों पर गूंजा उनका संदेश – “हमारे साथी नहीं गए, वे हर शिखर पर हमारे साथ हैं।”

Rishikesh News

RishikeshNews.com में हम उत्तराखण्ड और ऋषिकेश की ताज़ा खबरें और महत्वपूर्ण अपडेट सरल और भरोसेमंद तरीके से पाठकों तक पहुँचाते हैं।

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *