देहरादून: अब बाघ केवल जंगलों तक सीमित नहीं रहे हैं। वे खेतों, गांवों और यहां तक कि मानव बस्तियों तक पहुंचने लगे हैं। यह बदलाव वन्यजीव विशेषज्ञों और ग्रामीणों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। बढ़ते मानव-बाघ संघर्ष को देखते हुए केंद्र सरकार ने “संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बाघों की सुरक्षा योजना” (Tiger Conservation Beyond Protected Areas Initiative) की शुरुआत की है।
इस राष्ट्रीय पहल का शुभारंभ केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव सप्ताह 2025 के उद्घाटन अवसर पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून में किया।
बाघों की बढ़ती संख्या, बढ़ती चुनौती
भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत में बाघों की संख्या बढ़ना गर्व की बात है, लेकिन अब कई बाघ टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। यह प्रवृत्ति इंसानों और बाघों दोनों के लिए खतरा बन सकती है। नई योजना के तहत बाघों की गतिविधियों पर त्वरित निगरानी प्रणाली, सुरक्षा पट्टी निर्माण, और ग्रामीण जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
इसके अलावा बाघ कॉरिडोर को कानूनी सुरक्षा, त्वरित राहत दलों का गठन, और पुनर्वास योजनाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा — “अब संरक्षण का अर्थ केवल जंगलों की रक्षा नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इंसान और वन्यजीव दोनों सुरक्षित रहें।”
पांच नई परियोजनाओं की घोषणा
कार्यक्रम के दौरान भारत की जैव विविधता को सशक्त करने के लिए पांच नई परियोजनाएं शुरू की गईं —
- डॉल्फिन परियोजना (द्वितीय चरण): नदियों और समुद्रों में रहने वाली डॉल्फिन और जलचर स्तनधारियों के संरक्षण हेतु नई कार्ययोजना।
- स्लाथ भालू परियोजना: भालू प्रजातियों और उनके आवास की रक्षा के लिए समग्र संरक्षण योजना।
- घड़ियाल परियोजना: नदियों में घड़ियालों के प्रजनन और पुनर्वास को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र (CoE), कोयंबटूर: अनुसंधान, नीति निर्माण और क्षेत्रीय समाधान पर केंद्रित संस्थान।
- संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बाघों की सुरक्षा परियोजना: मानव-बाघ संघर्ष को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस पहल।
हैकाथॉन में युवाओं की भागीदारी
इस मौके पर आयोजित राष्ट्रीय हैकाथॉन ऑन ह्यूमन-वाइल्डलाइफ को-एक्सिस्टेंस में देशभर से 120 टीमों के 420 युवाओं ने भाग लिया। उन्होंने आधुनिक तकनीक से वन्यजीव संघर्ष कम करने के कई अभिनव समाधान प्रस्तुत किए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत में वन्यजीव संरक्षण को एक नया आयाम देगी और साथ ही मानव और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करेगी।