देहरादून: उत्तराखंड भूकंप संवेदनशील राज्य है। राज्य में 1975 से 2024 तक 447 भूकंप दर्ज किए गए हैं। इनमें अधिकांश भूकंप रिक्टर स्केल 3 से 4 की तीव्रता वाले रहे, जिन्हें महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा 4-5 रिक्टर स्केल के 90, 5-6 रिक्टर स्केल के 34 और 6-7 रिक्टर स्केल के 3 भूकंप आए हैं। सात से अधिक तीव्रता का कोई भूकंप रिकॉर्ड नहीं हुआ है।
आपदा प्रबंधन विभाग की योजना
उत्तराखंड सरकार ने भूकंप जोखिम मूल्यांकन और शमन को लेकर कई कदम उठाए हैं। इसमें प्रमुख हैं:
- भूदेव एप के जरिए चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को 153 करोड़ रुपये से अधिक का प्रोजेक्ट भेजना।
- राज्य के 10 उच्च प्राथमिकता वाले शहरों (देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गोपेश्वर, चमोली, जोशीमठ, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा) में भूकंपीय जोखिम आकलन।
- पुराने और महत्वपूर्ण भवनों की भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- नए निर्माण में सुरक्षा मानकों का पालन।
- जागरूकता बढ़ाने के लिए मॉक ड्रिल और सेंसर की संख्या बढ़ाना।
जिम्मेदारी संस्थानों में बंटी है:
- वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान
- आईआईटी रुड़की
- सीबीआरआई रुड़की
हाल के भूकंप
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, हाल के महीनों में राज्य में कई भूकंप आए:
- 16 अगस्त: बागेश्वर में रिक्टर स्केल 2.9
- 12 सितंबर: पिथौरागढ़ में 3.1 तीव्रता
- 17 सितंबर: पिथौरागढ़ में 2.8 तीव्रता
- अक्तूबर के पहले सप्ताह: पिथौरागढ़ में 3.1 तीव्रता
इन भूकंपों ने राज्य में भूकंप सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है।
अधिकारी क्या कह रहे हैं
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य सरकार भूकंप से बचाव के लिए कई स्तर पर काम कर रही है, जिसमें:
- जागरूकता कार्यक्रम
- पुराने भवनों की सुरक्षा
- मॉक ड्रिल
- सेंसर और तकनीकी उपायों की संख्या बढ़ाना
उनका कहना है कि प्रस्ताव NDMA को भेजा जा रहा है और इससे राज्य में भूकंप जोखिम कम करने में मदद मिलेगी।