ऋषिकेश। पर्यटन नगरी ऋषिकेश में पिछले चार-पांच वर्षों में दोपहिया वाहन किराये का व्यवसाय तेज़ी से बढ़ा है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचकर स्कूटी और बाइक किराये पर लेते हैं। लेकिन पिछले दो महीने से रेंटल एजेंसी संचालकों के लिए यह व्यवसाय घाटे का सौदा साबित हो रहा है। वजह है – पर्यटकों की लापरवाही और नियम उल्लंघन, जिसके चलते वाहन मालिकों पर भारी-भरकम चालान थोपे जा रहे हैं।
एएनपीआर कैमरों ने बढ़ाई मुश्किलें
दरअसल, ब्रह्मपुरी और भद्रकाली चेक पोस्ट पर परिवहन विभाग की ओर से एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की निगरानी में नियम तोड़ने वाले वाहनों का तुरंत चालान हो जाता है।
पर्यटक अक्सर बिना हेलमेट यात्रा करते हैं या यातायात नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे में उनके जाने के बाद वाहन मालिकों को मोबाइल पर चालान की सूचना मिलती है। यह रकम कई बार हजारों में पहुंच जाती है।
पर्यटकों की लापरवाही, मालिकों पर बोझ
लक्ष्मणझूला, मुनिकीरेती और आसपास के क्षेत्रों में रोजाना लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। सुविधा के लिए रेंटल एजेंसियां स्कूटी और बाइक उपलब्ध कराती हैं। स्कूटी का किराया प्रतिदिन 400 से 600 रुपये और बाइक का 500 से 1500 रुपये तक होता है।
लेकिन चालकों की लापरवाही के चलते यह कमाई उल्टे घाटे में बदल रही है। कई बार 1000 से 5000 रुपये तक का चालान आ जाता है, जिसे एजेंट को अपनी जेब से भरना पड़ता है।
केस स्टडी: किराये पर स्कूटी और भारी चालान
- अंकित गुप्ता (लक्ष्मणझूला व्यवसायी) ने बताया कि अगस्त में उन्होंने एक पर्यटक को 400 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से स्कूटी किराये पर दी। पर्यटक वाहन वापिस कर चला गया, लेकिन एक घंटे बाद मोबाइल पर 4000 रुपये का चालान आने की सूचना मिली।
- अजय पांडेय ने बताया कि उनकी स्कूटी का भद्रकाली चेक पोस्ट पर बिना हेलमेट चलाने पर 2000 रुपये का चालान हुआ। पर्यटक को खोजने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली और चालान भरना पड़ा।
विभाग की सफाई
एआरटीओ प्रवर्तन रश्मि पंत ने बताया कि एएनपीआर कैमरे लगाने का उद्देश्य चारधाम यात्रा और पर्वतीय मार्गों पर संचालित वाहनों की निगरानी करना है। चालान की सूचना सामान्यतः एक से दो घंटे में वाहन के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेज दी जाती है। तकनीकी व्यवधान के चलते कभी-कभी सूचना देर से पहुंचती है।
संचालकों की अपील
रेंटल एजेंसी संचालकों का कहना है कि वे पर्यटकों को वाहन सौंपते समय यातायात नियमों का पालन करने की हिदायत देते हैं और हेलमेट भी उपलब्ध कराते हैं। बावजूद इसके पर्यटक लापरवाही करते हैं और चालान का बोझ एजेंटों पर पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से इस समस्या का हल निकालने की मांग की है।