उत्तराखंड में भूकंप जोखिम मूल्यांकन और शमन: UERAM की नई पहल

उत्तराखंड में भूकंप जोखिम मूल्यांकन और शमन: मुख्य सचिव की विस्तृत बैठक और सुरक्षा पहल

देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड राज्य भौगोलिक दृष्टि से भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में आता है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड भूकम्प जोखिम मूल्यांकन एवं शमन (UERAM) के तहत सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को मजबूती देने के लिए एक विस्तृत बैठक आयोजित की।

मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में IIT रुड़की, वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान और CBRI के वैज्ञानिक मौजूद रहे। बैठक का उद्देश्य था भूकंप जोखिम की समीक्षा करना और प्रदेशवासियों के लिए एक सुरक्षा-संचालित वातावरण सुनिश्चित करना।

भूकंप संवेदनशीलता और राज्य का खतरा

मुख्य सचिव ने बैठक में कहा कि उत्तराखंड का एक बड़ा भू-भाग भूकंप जोन 5 में आता है।

  • इसका मतलब है कि राज्य में भूकंप की तीव्रता और संभावना अधिक है।
  • UERAM का उद्देश्य इस जोखिम को कम करना और मानवीय एवं आर्थिक नुकसान को न्यूनतम करना है।

मुख्य सचिव ने जोर दिया कि भूकंप जागरूकता और तैयारी सभी नागरिकों के लिए आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में भूकंप जागरूकता दिवस और मॉक ड्रिल नियमित रूप से आयोजित किए जाएँ।

वैज्ञानिक संस्थाओं के साथ सहयोग

बैठक में यह तय किया गया कि UERAM और USDMA (Uttarakhand State Disaster Management Authority) विभिन्न वैज्ञानिक संस्थाओं के साथ विस्तृत एमओयू करेंगे।

  • वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान – ग्लेशियर झील और भूस्खलन जैसी आपदाओं के अध्ययन पर कार्यरत।
  • IIT रुड़की – भूकंप जोखिम मूल्यांकन और शमन के लिए जिम्मेदार होगा।
  • CBRI (Central Building Research Institute) – भूकंपरोधी भवन निर्माण के लिए मापदंड और दिशानिर्देश तय करेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि इस एमओयू के तहत सभी संस्थाओं को अपने क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, ताकि प्रत्येक गतिविधि प्रभावी और समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके।

भूकंपरोधी भवन निर्माण

भूकंप के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्य सचिव ने भवन निर्माण मापदंड तय करने पर भी जोर दिया।

  • CBRI के साथ एमओयू के माध्यम से भवन निर्माण की तकनीकी मानक तय होंगे।
  • इससे नए और वर्तमान निर्माण दोनों भूकंपरोधी और सुरक्षित होंगे।
  • राज्य के विभिन्न जिलों में भवनों की संरचना और डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

यह कदम न केवल सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि भूकंप जैसी आपदा में मानवीय और आर्थिक नुकसान को न्यूनतम करेगा।

भूकंप जागरूकता और मॉक ड्रिल

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेशवासियों को भूकंप जैसी परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित और जागरूक करना जरूरी है।

  • एक नियत दिन पर मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
  • इससे नागरिकों को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित निकासी और बचाव की तैयारी होगी।
  • नियमित जागरूकता अभियान लोगों में आपदा प्रबंधन की समझ और तत्परता बढ़ाएगा।

अधिकारियों और वैज्ञानिकों की भूमिका

बैठक में उपस्थित अधिकारी और वैज्ञानिक इस प्रकार हैं:

  • सचिव श्री विनोद कुमार सुमन
  • अपर सचिव श्री आनंद स्वरूप
  • IIT रुड़की, वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान और CBRI के वरिष्ठ वैज्ञानिक

बैठक में सभी ने भूकंप जोखिम मूल्यांकन, भवन मापदंड और जागरूकता गतिविधियों के लिए रणनीति बनाई।

भविष्य की योजनाएँ

UERAM योजना के अंतर्गत आने वाले कदम:

  1. भूकंपरोधी भवन निर्माण मापदंड लागू करना।
  2. विज्ञान संस्थाओं के साथ एमओयू के माध्यम से जिम्मेदारियों का वितरण।
  3. भूकंप जागरूकता दिवस और मॉक ड्रिल का नियमित आयोजन।
  4. प्रशिक्षण और आपदा प्रबंधन अभियान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में।
  5. आपदा से निपटने की प्रभावी रणनीति तैयार करना।

इन उपायों से राज्य में आपदा प्रबंधन क्षमता बढ़ेगी और भूकंप जैसी आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।


उत्तराखंड सरकार की यह पहल भूकंप से सुरक्षा और जागरूकता के लिए एक अहम कदम है।

  • UERAM के तहत वैज्ञानिक और प्रशासनिक सहयोग से राज्य में भूकंप जोखिम कम करने की रणनीति विकसित की जाएगी।
  • भवन निर्माण मापदंड और नियमित जागरूकता अभियान स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे
  • यह पहल राज्य को भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयार और सतर्क बनाएगी।

उत्तराखंड प्रशासन की यह कार्रवाई न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आपदा प्रबंधन और सामाजिक जागरूकता को भी मजबूती देती है।

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