धर्म डेस्क, ऋषिकेश। सनातन धर्म में दीवाली (Diwali 2025) का पर्व अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है। यह हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है और साधक दिनभर व्रत रखकर शाम को दीपदान करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। व्यापारी वर्ग के लिए यह पर्व नए कारोबार और प्रगति का प्रतीक भी है।
इस साल की दीवाली खास है क्योंकि 84 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो वर्ष 1941 के बाद पहली बार घटित होगा। मान्यता है कि इस संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।
दीवाली 2025 तिथि और समय (Diwali 2025 Date and Time)
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, शाम 03:44 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्ति: 21 अक्टूबर, सुबह 05:54 बजे
🔸 पंचांग के अनुसार, दीवाली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। 21 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। अतः मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाना उचित है।
👉 हालांकि, स्थानीय पंचांग का विचार करना अनिवार्य है।
दीवाली 2025 शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat)
- संध्याकाल पूजा मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से 08:18 बजे तक
- प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे से 08:18 बजे तक
- वृषभ काल: शाम 07:08 बजे से 09:03 बजे तक
- निशिता काल: रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक
इन समयों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से साधकों को शुभ फल प्राप्त होगा।
पंचांग विवरण
- सूर्योदय: सुबह 06:25 बजे
- सूर्यास्त: शाम 05:46 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:44 से 05:34 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:59 से 02:45 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:46 से 06:12 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11:41 से 12:31 बजे तक
84 साल बाद बना विशेष संयोग
वैदिक गणना के अनुसार, 20 अक्टूबर 1941 को भी दीवाली का पर्व मनाया गया था। उस समय भी अमावस्या तिथि और पूजा मुहूर्त लगभग समान थे।
- 1941 में शिववास योग और चित्रा नक्षत्र का संयोग था।
- 2025 में भी दीवाली के दिन शिववास योग रहेगा।
👉 यानी 84 साल बाद वही अद्भुत संयोजन बन रहा है, जिसमें दीवाली का पर्व मनाया जाएगा। यह संयोग साधकों के लिए अत्यंत दुर्लभ और फलदायी माना जा रहा है।