नवरात्रि 2025 व्रत नियम: जानिए नवरात्रि के दौरान नींबू क्यों नहीं खाया जाता

नवरात्रि 2025 व्रत नियम: जानिए नवरात्रि के दौरान नींबू क्यों नहीं खाया जाता

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत आज 22 सितंबर से हो रही है। यह पावन पर्व नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का समय है। भक्तजन इस दौरान व्रत रखते हैं और सात्विक जीवन शैली अपनाकर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। व्रत में अनाज, मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन जैसी वस्तुओं का सेवन वर्जित माना जाता है। लेकिन कई परंपराओं में नींबू जैसे खट्टे फल का सेवन भी वर्जित बताया गया है।

लोगों के मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है कि सेहत के लिए लाभकारी माने जाने वाले नींबू को नवरात्रि व्रत में खाने की मनाही क्यों है? आइए धार्मिक मान्यताओं, आयुर्वेद और स्वास्थ्य कारणों से जुड़े पहलुओं को समझते हैं।

आयुर्वेद और भोजन की प्रकृति

आयुर्वेद के अनुसार भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक

  • सात्विक भोजन मन को शांत और एकाग्र करता है।
  • राजसिक भोजन उत्तेजना और इच्छाओं को बढ़ाता है।
  • तामसिक भोजन आलस्य और सुस्ती का कारण बनता है।

नवरात्रि में केवल सात्विक भोजन की अनुमति है। चूंकि नींबू स्वाद में अत्यधिक खट्टा और तीव्र होता है, इसलिए इसे राजसिक श्रेणी में रखा गया है। राजसिक गुण साधना और ध्यान में बाधक माने जाते हैं, इसलिए नींबू खाने से परहेज की परंपरा है।

आध्यात्मिक ऊर्जा पर प्रभाव

नवरात्रि के नौ दिन देवी भक्ति और साधना के लिए समर्पित होते हैं। माना जाता है कि इस दौरान नींबू जैसे खट्टे फल आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करते हैं। हल्के और सौम्य स्वाद वाले सात्विक खाद्य पदार्थ साधना में मन को अधिक स्थिर और एकाग्र बनाए रखते हैं।

स्वास्थ्य कारण

नवरात्रि व्रत में कई लोग दिनभर कम भोजन या केवल फलाहार करते हैं। खाली पेट नींबू या नींबू पानी पीने से:

  • एसिडिटी
  • पेट में जलन
  • गैस की समस्या हो सकती है।

इसलिए सेहत की दृष्टि से भी व्रत के दौरान नींबू का सेवन सभी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।

सात्विकता पर है जोर

नवरात्रि में नींबू न खाने का मुख्य उद्देश्य सात्विकता बनाए रखना है। इसका यह अर्थ नहीं कि नींबू अपवित्र है, बल्कि उसकी अम्लीय प्रकृति और राजसिक गुण व्रत के उद्देश्य – तन-मन की शुद्धि और देवी भक्ति – के अनुरूप नहीं माने जाते।

निष्कर्

नवरात्रि व्रत का असली मकसद देवी के ध्यान और भक्ति में पूरी तरह लीन होना है। खान-पान से जुड़े नियम इसी आध्यात्मिक अनुशासन को बनाए रखने में मदद करते हैं। नींबू जैसे खट्टे फलों से परहेज का महत्व परंपरा और साधना, दोनों दृष्टियों से जुड़ा हुआ है।

डिस्क्लेमर

यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं, आयुर्वेद और परंपराओं पर आधारित है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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