उतराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार चला रही है, हेरिटेज टूरिस्ट गाइड का निशुल्क प्रशिक्षण, युवाओं को बना रहे आत्मनिर्भर |

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पर्यटन विभाग उत्तराखंड और टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी स्किल काउंसिल के तत्वाधान में चलाए जा रहे हेरिटेज टूरिस्ट गाइड का निशुल्क प्रशिक्षण ऋषिकेश में चलाया जा रहा है, जिसमें उत्तराखंड पर्यटन विभाग की (अपर निदेशक) श्रीमति पूनम चंद जी द्वारा प्रदेश में एसे विभिन्न प्रकार के कोर्सेज जैसे:- टूर ड्राईवर, गेस्ट हाउस केयर टेकर, रोड साइड रिट्री सर्वर आदि चलाये जा रहे हैं| जिससे उत्तराखंड में पर्यटक को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही राज्य के योवाओं को रोजगार मिल सकेगा और वो आत्मनिर्भर बन सकेंगे| इसका प्रशिक्षण करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र दिया जायेगा| उत्तराखंड पर्यटन विभाग की अपर निदेशक जी प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संपूर्ण योगदान देने का आश्वासन दिया।

चौरासी कुटिया में बीटल आश्रम 1968, भारत दौरे के एक्सपोर्ट श्री राजू गोसाई जी ने टूर गाइड प्रशिक्षुओ को चौरासी कुटिया में स्थित विभिन्न इमारतों का इतिहास व बीटल बैंड से जुड़े संबंधों को विस्तार से बताया इस टूर के दौरान गोसाई ने बीटल द्वारा लिखे गए कुछ गाने रिकॉर्डिंग भी सुनाई विश्वविख्यात बीटल बैंड 1968 में महर्षि महेशयोगी के आश्रम में अपने गुरु से ध्यान सीखने के लिए ऋषिकेश आया उनका यह दौरा उनके कार्यकाल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय था |

जिसमें उन्होंने भारत के छोटे से इतिहास में 48 गाने की रचना की गाइड प्रशिक्षुओं को महर्षि योगी और बीटल के संबंध पोस्ट ऑफिस,बीटल बैंगलो, के बारे में विस्तार से बताया गया|

उन्हें 1968 के समाचार पत्रों में छपे प्रकाशन की कटिंग्स भी दिखाई और महर्षि महेश योगी का संबोधन भी सुनाया गया, इस हेरिटेज वॉक के दौरान बीटल आश्रम से जुड़ी हुई कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई इसमें सबसे महत्वपूर्ण बीटल्स का योग नगरी ऋषिकेश में आने के बाद पर्यटन व्यवसाय में अत्यधिक उछाल आया गोसाई जी कहते हैं कि 1952 से 1968 तक भारत में विदेशी पर्यटकों का आगमन 4% या 5% के लगभग था लेकिन बीटल्स के भारत आने के बाद 1969 विदेशी पर्यटकों की संख्या में आश्चर्यचकित कर देने वाला उछाल देखा गया, यह विदेशी पर्यटकों का आगमन 37% के लगभग था, बीटलल्‍्स का भारत आगमन राजनीति का शिकार भी हो गया, एक छोटे सेशहर में इतने अत्यधिक विदेशियों का आ जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहा, इसकी कई बार संसद में भी चर्चाएं की गई जिसकी प्रश्न उत्तरों की प्रतियां भी गुसाई जी ने प्रशिक्षुओं को दिखाई, प्रशिक्षुओं ने चौरासी कुटिया में महर्षि महेश योगी व बीटल के संबंधों को समझने में अत्यधिक रुचि दिखाई, गोसाई जी ने बताया कि 1961 में वन विभाग से महर्षि महेश योगी जी ने 15 एकड़ जमीन 20 साल की लीज पर लेकर चौरासी कुटिया में ध्यान योग प्रशिक्षण के लिए केंद्र स्थापित किया यह लीज 1981 में समाप्त हो गई इसे पुन: स्थापित करने के लिए महर्षि व चौरासी कुटिया प्रबंधन ने अत्यधिक प्रयास किया|

परंतु 1999 तक सरकार ने इसे है पुणे रिलीज नहीं किया और बाद में एक कोर्ट के आदेश पर महर्षि महेश योगी को यह आश्रम छोड़ना पड़ा, आज भी महर्षि महेश योगी आश्रम पर्यटकों कि विशेष रुचि का केंद्र बना हुआ है, हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पर आकर के महर्षि महेश योगी व बीटल से संबंधित जानकारियां एकत्रित करते रहते हैं व समय-समय पर कई चलचित्र चित्रों का भी सृजन करते रहते हैं, चौरासी कुटिया वर्तमान में भी राज्य सरकार का राजस्व बढ़ाने में अत्यधिक सहयोग कर रहा है गुलशन जी से उपलब्ध जानकारियों प्राप्त करके प्रशिक्षु अत्यधिक गौरवान्वित महसूस कर रहे थे|

इस दौरान संयोजक विजय तिवारी जी और ट्रेनर केतन भट्ट जी मौजूद रहे|

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